Monday 12 October 2015

These architectural finishing in the house symbol architectural flaw in hindi

                        घर में रखे ये वास्तु चिन्ह खत्म करते हैं वास्तु दोष




यदि आप वास्तु विज्ञान में विश्वास रखते हैं तो यकीनन आपने इससे संबंधित काफी जानकारी प्राप्त की होगी। वास्तु विज्ञान के अनुसार घर की कौन सी दिशा सही है और कौन सी नहीं, किस दिशा में कौन सी वस्तु रखें और कौन सी नहीं, आदि चीजें आप जानते ही होंगे।

इसके अलावा कौन सी वस्तुएं घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करके नकारात्मक ऊर्जा लाती हैं, इसका उल्लेख भी वास्तु शास्त्र में बखूबी किया गया है। लेकिन आज हम आपको किसी दिशा के बारे में नहीं बताने जा रहे, वरन् आपको कुछ ऐसी वस्तुओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो यदि घर में हों तो किसी भी प्रकार का वास्तु दोष नहीं हो सकता।

यह वस्तुएं घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती हैं। दोष चाहे कैसा भी हो, घर की किचन, बाथरूम या बेडरूम को बनाने के लिए बेशक गलत दिशा का प्रयोग किया गया हो, फिर भी ये वस्तुएं उन दोषों को काटने में सक्षम साबित होती हैं।

इन्हें वास्तु के शुभ प्रतीक कहा जाता है, जिनमें ओम, स्वास्तिक, मंगल कलश, पंचसूलक और मीन आते हैं। वास्तु विशेषज्ञों का यह दावा है कि इन्हें घर में लाने से ना केवल धन एवं सुख का लाभ होता है, साथ ही रोगों से बचने की भी ऊर्जा प्राप्त होती है।

आगे जानिए कैसे यह प्रत्येक वास्तु चिन्ह घर में रखना लाभदायक होता है। इसके क्या लाभ हैं एवं यह कैसे काम करता है।

हिन्दू धर्म से संबंध रखने वाले लोगों के लिए ‘ॐ’ शब्द आम लेकिन खास महत्व रखने वाला है। ॐ सब जगह है, मनुष्य के भीतर, इस ब्रह्मांड में तथा मनुष्य के कण-कण में बसा है ॐ। इसलिए वास्तु में भी इसे अत्यधिक जरूरी माना गया है।

मान्यता है कि ओम सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा का प्रतीक है। सम्पूर्ण ब्रह्मांड ही इस अकेले शब्द में समाया है, इसलिए इस शब्द को अधिक से अधिक पढ़ने के लिए कहा जाता है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार ओम का जाप करने से मन को शांति मिलती है। मानसिक संतुलन बना रहता है तथा रोगों से भी मुक्ति मिलती है। धर्म शास्त्रों की तरह ही वास्तु विज्ञान का भी यही मानना है।

ओम का चिन्ह घर में रखने से एक खास प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है जो घर में रोगों को उत्पन्न करने वाली ऊर्जा को नष्ट करती है। अब आप सोच रहे होंगे कि इस चिन्ह को घर के किस स्थान पर रखा जाए, तो हम आपको बता दें कि ओम के चिन्ह को रखने के लिए किसी खास दिशा का होना बाध्यकारी नहीं है।

इसे आप अपनी मनचाही जगह पर रख सकते हैं। यह किसी भी आकार का हो सकता है, छोटा या बड़ा... इसे आप घर के प्रवेश द्वार के पास, घर के मध्य में या किसी कोने में भी रख सकते हैं। जैसा आपको सही लगे...

स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग प्राचीन काल से हो रहा है। यूं तो हिन्दू धर्म के लिए यह माननीय प्रतीक चिन्ह है लेकिन ना केवल भारत में, वरन् दुनिया के कोने-कोने में किसी ना किसी रूप में इस चिन्ह का प्रयोग हुआ है।

तो यदि आपको लगता है कि आप धन से संबंधित समस्या से पीड़ित हैं, धन आता है लेकिन पानी की तरह बह जाता है। इसके अलावा परिवार के सदस्य जल्द से जल्द बीमार भी पड़ते हैं, तो अपने घर स्वास्तिक चिन्ह अवश्य ले आएं।

इस चिन्ह को अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ लगाएं। बाजार में खासतौर से वास्तु विज्ञान के अनुसार बनाया गया स्वास्तिक पिरामिड मिलता है। इस स्वास्तिक पिरामिड को आप दरवाजे के दोनों ओर ऊपर की तरफ लगा दें।

यदि धन से संबंधित परेशानी के लिए आप स्वास्तिक पिरामिड का प्रयोग कर रहे हैं तो इसे अपनी पैसों वाली तिजोरी के ऊपर रख दें या फिर उस स्थान पर जहां आप अमूमन पैसे ला कर रखते हैं। इसके अलावा आप सिंदूर के प्रयोग से तिजोरी के ऊपर स्वास्तिक का चिन्ह भी बना सकते हैं, इससे भी लाभ होता है।

मंगल कलश भी भारतीय परम्परा का एक अनिवार्य अंग है, जिसमें शुभ प्रतीकों के माध्यम से सौभाग्य को आमंत्रित किया जाता है। यह मिट्टी का पात्र होता है, जिसमें शुद्ध जल भरा होता है। इस पर अशोक या आम की पत्तियों का प्रयोग भी किया जाता है।

इसके अलावा कलश के मुख के आसपास लाल धागा यानी कि मौलि का प्रयोग किया जाता है। धार्मिक संदर्भ से मंगल कलश को स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण का सूचक माना गया है। सभी शुभ संस्कारों में इसकी उपस्थिति अनिवार्य होती है।

इन्हीं महत्व के कारण वास्तु शास्त्र में भी मंगल कलश का उपयोग किया जाता है। हिन्दू घरों में मंगल कलश को विशेष रूप से मंदिर में स्थापित किया जाता है, आप भी इसे मंदिर में ही रख सकते हैं।

यदि आप एक हिन्दू परिवार से हैं तो शायद आपने किसी विवाह के मौके पर या फिर गृह प्रवेश के मौके पर घर की किसी महिला को हाथ में हल्दी लेते हुए दीवार पर छापते हुए देखा हो। यही पंचसूलक की प्रथा होती है।

ऐसी मान्यता होती है कि सृष्टि के पांच तत्व हमारे हाथ की हथेली में समाए हैं। इतना ही नहीं, हमारा शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से मिलकर बना है। हिन्दू धर्म में यह रिवाज़ शुभ माना जाता है।

हिन्दू धर्म के अलावा जैन धर्म में भी पंचसूलक का काफी महत्व पाया गया है। लेकिन वास्तु विज्ञान क्या कहता है यह भी जान लें... वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार के पास पंचसूलक के निशान घर में सुख एवं समृद्धि लाते हैं। घर को रोगों से मुक्त बनाते हैं, हर घर के लिए यह चिन्ह आवश्यक हैं।

मीन यानी मछली... जितना पुराना वास्तु विज्ञान है शायद उससे भी पुराना है मीन के चिन्ह का महत्व। प्राचीन काल से ही मीन के चिन्ह को शुभ माना गया है। मीन यानी मछली को खुशहाली से जोड़ा जाता है, और यदि यह चिन्ह जोड़े में हो तो और भी अच्छा माना जाता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार मीन के प्रतीक चिन्ह को घर के उत्तर दिशा में रखना चाहिए। इससे धन लाभ होता है, यदि आप मीन चिन्ह नहीं रखना चाहते तो इस दिशा में एक फिश एक्वेरियम भी रख सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि आप यदि किसी जरूरी कार्य से घर से निकल रहे हों तो जाने से पहले मीन का चिन्ह जरूर देख लें, काम सफल होगा।


                                                                  www.sanatanpath.com

                                                                          facebook

                                                                           Twitter



No comments: