Wednesday 30 September 2015

nostradamus predictions in hindi

कैसे सच साबित होती रही हैं नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां



कल हमारे साथ क्या होने वाला है ये हम नहीं जानते। कल तो क्या, अगले ही पल हमारे साथ क्या घटित हो सकता है हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। दुनिया भर में भविष्य को जान सकने के अनगिनत तरीके हैं, जो यह दावा करते हैं कि वे सटीक ही हैं। लेकिन क्या आप इन पर विश्वास करते हैं?

कोई कितना ही दावा क्यों ना करे, लेकिन जो समय अभी आया ही नहीं उसके बारे में अनुमान लगाना कैसे संभव है? अपने डेली रूटीन के हिसाब से हम इतना जानते हैं कि किस समय हमें कौन सा कार्य करना है, आने वाले कल में हमें किस जगह पर पहुंचना है, लेकिन यह तो भविष्य की प्लानिंग है। यह हमारी सोच के हिसाब से ही चले ऐसा जरूरी तो नहीं।

हो सकता है कि पूरे दिन की प्लानिंग करने के बाद अगला दिन चढ़ते ही आप घर से ही ना निकल सकें। कारण कुछ भी हो सकता है... या फिर कहीं घूमने जाने का प्लान अचानक ही रद्द करना पड़े। तो हमारी प्लानिंग ही जब हमारे हिसाब से नहीं चलती, तो हम भविष्य को जानकर उसके हिसाब से कैसे चल सकते हैं?

परन्तु आज हम जिस शख़्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उन्होंने अपनी ज़िंदगी में काफी सारी भविष्यवाणियां की। और वह सभी सत्य भी हुईं, यदि उनकी भविष्यवाणी के आधार पर कदम उठाए जाते तो आज ना जाने कितनी ही जानें बच सकती थीं।

ये शख़्स हैं महान भविष्यवक्ता ‘नास्त्रेदमस’... फ्रांस के एक 16वीं (1503-1566) सदी के जाने माने भविष्यवक्ता, एक ज़माने में डॉक्टर एवं शिक्षक भी रह चुके थे। ये प्लेग जैसी बीमारियों का इलाज करते थे। आपको जानकर हैरानी होगी, परन्तु नास्त्रेदमस किसी साधारण तरीके से नहीं, बल्कि अपनी कविताओं से भविष्य में होने वाली घटनाओं की ओर इशारा करते थे।

नास्त्रेदमस की सैकड़ों भविष्यवाणियों में से बहुत सी सत्य हो चुकी हैं। दुनिया भर की प्रसिद्ध हस्तियों के साथ-साथ नास्त्रेदमस ने कुछ प्रचलित भारतीय हस्तियों की भी भविष्यवाणी की थी, जो सच भी हुईं। उन्होंने राजीव गांधी की हत्या से लेकर विश्व युद्ध तक की भविष्यवाणी की, और आश्चर्य की बात यह है कि यह सभी भविष्यवाणियां सच हो गईं, लेकिन कैसे?

क्या नास्त्रेदमस में किसी प्रकार की कोई शक्ति थी? या फिर यह भगवान द्वारा प्रदान दी गई कोई अद्भुत कला थी जो उन्हें भविष्य में होने वाली घटना का वर्णन देती थी। आखिर वह कैसे जान पाते थे आने वाले कल को? इस बात का खुलासा करने से पहले आज हम यहां आपको नास्त्रेदमस की उन भविष्यवाणियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि सच हुई हैं और उन्होंने पूरी दुनिया को चौंका दिया है।

आश्चर्य की बात है लेकिन नास्त्रेदमस ने कई वर्ष पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी थी कि भारत की राजनीति में एक ऐसा शख़्स आएगा जो राजनीति के संदर्भ को हिलाकर रख देगा। और यह भविष्यवाणी नरेंद्र मोदी के लिए ही थी।

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के जानकारों का कहना है कि मोदी के शासन में भारत बनेगा विश्व की महाशक्ति। भारत का कायापलट हो जाएगा और दुश्मन राष्ट्रों का वजूद मिट जाएगा।

बेहद अचंभित करने वाली नास्त्रेदमस की यह भविष्यवाणी भी सच हुई थी। उनकी भविष्यवाणी में लिखा गया था कि राजाज्ञा से एक उत्तम वायु चालक अपना पेशा छोड़कर देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो जाएगा। सात सालों तक ख्याति प्राप्त करने के पश्चात उसका ऐसा अंत होगा, जो रोंगटे खड़े कर देगा।

और हुआ भी कुछ ऐसा ही, राजीव गांधी के सत्ता की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद भारत ने अचानक तरक्की की ओर कदम बढ़या। लेकिन उनके प्रधानमंत्री बनने के 7 साल बाद ही वर्ष 1991 में उनकी हत्या हो गई थी।

गांधी परिवार की ही शख़्स इंदिरा गांधी की भविष्यवाणी भी नास्त्रेदमस द्वारा की गई, जिसके अनुसार ‘निष्कासित स्त्री’ फिर सत्तारूढ़ होगी। उसके बैरी उसके विरुद्ध षड़यं‍त्र करेंगे। तीन सालों के अपने यादगार कार्यकाल के बाद सत्तर की आयु के लगभग उसकी मृत्यु होगी।

यदि की गई भविष्यवाणी के आधार पर ऐतिहासिक तथ्यों पर गौर करें तो इंदिरा गांधी की भी साल 1977 के आम चुनाव में पराजय हुई थी और जनता पार्टी की सरकार बनी थी। लेकिन 1980 में प्रधानमंत्री बनने के बाद 67 साल की उम्र में उनकी हत्या कर दी गई थी।

शायद दुनिया का सबसे दुखद हादसा, लेकिन भविष्यवाणी पर गौर किया जाता तो यह हादसा टल सकता था। 9/11 वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर पर हुए आंतकी हमले से संबंधित नास्त्रेदमस ने जो भविष्यवाणी की थी, उसके अनुसार पृथ्वी के सेंटर को दो बड़े पत्थर तबाह कर देंगे।

इस भविष्यवाणी में न्यूयॉर्क को न्यू सिटी, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को सेंटर ऑफ द अर्थ और ट्विन टॉवर को टू ग्रेट रॉक्स से जोड़ा गया है। यदि इस भविष्यवाणी का अर्थ समझ लिया जाता तो शायद यह हादसा ना होता। क्योंकि ठीक इसी तरह वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को अपहरणकर्ताओं ने दो प्लेन को हाइजैक कर ट्विन टॉवर में क्रैश करा दिया था।

अगली भविष्यवाणी जो हम आपको बताने जा रहे हैं वह फिलहाल घटी नहीं है, लेकिन जल्द ही घटित हो सकती है। और यदि इस भविष्यवाणी के अनुसार कुछ कदम उठाए जाएं तो शायद कुछ रोकथाम हो सकती है।

इस भविष्यवाणी के अनुसार तीसरे विश्वयुद्ध की भूमिका बननी शुरू हो जाएगी। मिडिल ईस्ट दुनिया की जंग का मैदान बन जाएगा, जहां दुनिया भर की ताकतें अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेंगी।

यहां विश्व की कट्टर विरोधी ताकतें यथा अमरीका और रूस भी मिलकर एक हो जाएंगे और दुनिया में शांति लाने के लिए आतंकवाद के खिलाफ खड़े हो जाएंगे। यह घटना साल 2015 के अंत में और साल 2016 के शुरू में होने की संभावना है।

इसके अलावा नास्त्रेदमस की एक और भविष्यवाणी के अनुसार वर्ष 2015 अमरीका के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। इस साल अमरीका को न केवल विश्व की उभरती शक्तियों यथा चीन, रूस और ईरान से चुनौती मिलेगी वरन प्राकृतिक संकटों से भी जूझना पड़ेगा।

अमरीका को इस साल भयावह भूकंप का सामना करना पड़ सकता है। इस भूकंप के फलस्वरूप अमरीका का एक हिस्सा पूरी तरह तबाह हो जाएगा। ज़ाहिर है कि इससे अमरीका को भारी नुकसान होने वाला है, लेकिन देखना यह होगा कि यह भविष्यवाणी कितनी सच होती है।

अमरीका के अलावा नास्त्रेदमस की एक अन्य भविष्यवाणी में यूरोप के लिए भी बुरी खबर है, जिसके अनुसार आने वाले समय में यह देश आर्थिक संकट में घिर जाएगा। फ्रांस, जर्मनी सहित कई बड़े यूरोपियन राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ जाएगी। देखना यह होगा कि इतने बड़े देशों की यह समस्या अन्य देशों पर कितनी असरदार होती है।

                         

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Mahamrityunjay mantra in hindi

महामृत्युंजय मंत्र ( जीवन रक्षक मन्त्र)



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Tuesday 29 September 2015

Sapphire can be tested without waste to wear in hindi

    बिना परखे नीलम पहनने से हो सकते हैं बर्बाद

 

शनिदेव का डर जगत विख्यात है। शनि की वक्री दृष्टि से अच्छे-भले लोग बर्बाद होते देखे जाते हैं। शनि की उलटी चाल राज को रंक बना देती है। कुण्डली में शनि की अशुभ स्थिति उसकी दशा-अंतर्दशा में बुरे परिणाम देती है तथा साढ़े साती अथवा ढैया की स्थिति तो बेहद खतरनाक साबित होती ही है।


किंतु कई बार ये डर निराधार साबित होता है क्योंकि शनि वस्तुतः न्याय और धर्म के देवता हैं। वे केवल दुष्टों को दण्ड देते हैं। आपने अगर अपने आचार-विचार और कर्म साफ-सुथरे रखे हैं तो शनि आपको दण्ड की बजाय पुरस्कार देते हैं। पापियों, कामियों, व्यभिचारियों, भ्रष्ट आचार में संलग्न व्यक्तियों के लिए शनि महाकाल बन जाते हैं। अपनी दशा-अंतर्दशा तथा साढ़े साती अथवा ढैया की स्थिति में ही शनि न्याय करते नज़र आते हैं।

किंतु यदि कुण्डली में शनि शुभ भाव में विराजमान हों या फिर वृष व तुला का जातक हो तब शनि कारक ग्रह बन कर अपनी दशा में बुरे की बजाय सामान्य अथवा अच्छा फल देते हैं। कई बार वृष व तुला लग्न के जातक की कुण्डली में शनि अस्त, वक्री, नीच, कम अंश आदि के होने के कारण शुभ फल देने में सक्षम नहीं होते इसलिए ऐसी अवस्था में शनि को मजबूत करने के लिए नीलम रत्न धारण करना श्रेयस्कर होता है। तीन से छः रत्ती का नीलम स्वर्ण या फिर पंच धातु में जड़वाकर शनिवार के दिन दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण किया जाए तो शुभ किंतु बलहीन शनि भी चमत्कार दिखाने में सक्षम हो जाते हैं।


नीलम को नीलमणि या अंग्रेजी में सैफायर नाम से भी जाना जाता है। इसकी गुणवत्ता निःसंदेह है किंतु तब जबकि इसमें किसी प्रकार का कोई दोष न हो। चीरा लगा, धारीदार, सफेदी लिए हुए अथवा किसी भी प्रकार छिद्रित या फिर खण्डित नीलम धारण करने से बीमारी, हानि, शत्रु द्वारा घेर लिया जाना, अपमान आदि का शिकार होना पड़ता है।


इसके अलावा कामी अथवा आलसी व्यक्ति को नीलम बिल्कुल नहीं धारण करना चाहिए। क्योंकि ऐसी अवस्था में शनिदेव उस व्यक्ति के और खिलाफ़ हो जाते हैं तथा उसे सज़ा दे डालते हैं।


कमजोर शनि की शुभ भाव स्थिति में नीलम उसके बल को कई गुणा बढ़ाने की सामर्थ्य रखता है। उसी प्रकार अशुभ भाव स्थित या अशुभ भावों का स्वामी होकर शनि यदि कुण्डली में कहीं मौज़ूद हो तो नीलम धारण करने से उसकी अशुभता तथा मारकता बेहद बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में किसी योग्य एस्ट्रोलॉजर से परामर्श अवश्य लेना चाहिए ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके!


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try to look at ten years of age



असली उम्र से दस साल कम दिखना है तो आजमाएं

 

 

जीवन में हमें उम्र के अलग-अलग पड़ावों से गुजरना होता है। लेकिन युवावस्था एक ऐसा दिलचस्प पड़ाव है, जिसे कोई भी पार नहीं करना चाहता। वैसे तो हर उम्र की अपनी खासियत होती है लेकिन शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जो वृद्धावस्था का सामना करने के लिए रेडी हो। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो 30 की उम्र के बाद अपने बर्थडे केक पर 31 कैंडल लगाना पसंद करे। भई, लड़कियां जो वैसे भी 18 की उम्र को भी 16 बताती हैं वे कैसे 30 के बाद 31 का कहलवाना पसंद करेंगी!!


 खैर, उम्र का बढ़ाना तो बहुत नैचुरल और स्वाभाविक क्रिया है, आप चाहें ना चाहें उम्र तो आपकी बढ़ेगी ही, लेकिन आप ऐसा कुछ जरूर कर सकते हैं जिससे आपकी बढ़ती उम्र का असर आपके चेहरे और आपके व्यक्तित्व पर कम से कम पड़े। फर्ज कीजिए कि कोई आपसे कहे कि आप 40 की उम्र में भी 30 के दिख सकते हैं और वो भी फेस पर कोई केमिकल लगाए बिना, तो आप मानेंगे?


 मानना तो पड़ेगा क्योंकि आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स देने जा रहे हैं जो आपकी बढ़ती उम्र को चुटकियों में कम कर देगा और आप फिर से खुद को यंग महसूस करने लगेंगे।


 अगर आप वाकई खुद को जवान महसूस करना चाहती हैं और अपने भीतर छिपे रोमांच को हमेशा बरकरार रखना चाहती हैं तो जितना हो सके उतना घूमिए। ट्रैवेल करना एक बेहतरीन अनुभव है जिसे आपको महसूस करना ही चाहिए। जिन्दगी में जिम्मेदारियां और परेशानियां तो बहुत हैं लेकिन ये अनुभव आपको हमेशा तरोताजा रखेगा।


अगर आपको कोई लड़का बहुत पसंद है और आप सिर्फ उसके प्रपोजल का इंतजार करती रहेंगी तो इंतजार करती ही रह जाएंगी। आप खुद अपने अंदर के आत्मविश्वास को जगाइए और उसे पूछिए कि क्या आप उसे डेट कर सकती हैं? फिर देखिए उसका ‘हां’ में मिलने वाला जवाब आपको कितना प्रभावित करेगा। सोचिए अगर उसने भी प्रपोज नहीं किया और आप भी हिम्मत नहीं कर पाईं तो फिर “काश” के सहारे जिंदगी बिता देना भी तो सही नहीं है।


 बाल आपके पूरे व्यक्तित्व को महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित करते हैं। आप जितना चाहे इनके साथ प्रयोग कीजिए। आप चाहे तो अपने बालों को अलग-अलग रंगों में रंगवा सकते हैं, जिसमें बर्गंडी, हरे और बैंगनी भी शामिल हैं। या फिर चाहें तो बिल्कुल शॉर्ट हेयर्स करवा लीजिए। बालों के साथ आप किस तरह खेलती हैं यह आपकी उम्र को कम और ज्यादा दोनों दिखा सकता है।


बहुत टाइम से आप एक नई भाषा सीखने की कोशिश कर रही थीं लेकिन जिम्मेदारियों के चलते आप ऐसा नहीं कर पा रही थीं। इस बार किसी भी नई फॉरेन लैंग्वेज़ में हाथ आजमाने के लिए तैयार हो ही जाइए। फिर ये मौका शायद ना मिले।


 आपके व्यक्तित्व को निखारने में आपकी स्माइल बहुत उपयोगी है। इसलिए आपका अपने दांतों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आपने बहुत चॉकलेट्स और आइसक्रीम्स खाई हैं अब बारी अपनी स्माइल को निखारने की है। आपको डेंटिस्ट के पास जाने की फ्रिक्वेंसी को बढ़ा देनी चाहिए।


पैराग्लाइडिंग, अंडर वॉटर डाइविंग, स्कीइंग, बंजी जंपिंग, जो भी ट्राइ करना चाहें बिल्कुल कीजिए। खुद को रिफ्रेश करने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा।


कभी-कभार पिज्जा और चॉकलेट केक खाना तो बनता है लेकिन अब आपको अपनी वेस्ट लाइन पर भी ध्यान देना चाहिए। अब कुछ भी खाने से बचें और सही खाने पर ध्यान दें।


आपको लग रहा होगा कि आप इंटर्नशिप करके क्या करेंगी, लेकिन हम यहां किसी ऐसी-वैसी कंपनी में इंटर्नशिप की बात नहीं कर रहे हम तो आपको कह रहे हैं कि आप किसी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी या फिर किसी ऐसी कंपनी में इंटर्न करें जहां काम और फन साथ-साथ चलते हों।


अब आप ऐसे पड़ाव पर हैं जहां आपको अपनी त्वचा का ध्यान रखना ही पड़ता है। आप केमिकल्स लगाने की जगह घरेलू नुस्खों की ओर ध्यान दें। ये भले ही थोड़ा टाइम लेते हैं पर लंबे समय में उल्लेखनीय प्रभाव डालते हैं। 


चलिए फिर आज से ही खुद को निखारने और संवारने की कोशिश शुरू कर दीजिए, ताकि कोई ये ना कहे कि तुम उम्र से पहले ही बूढ़ी होने लगी हो। वैसे भी हर लड़की की ये ख्वाहिश जरूर होती है कि वह हमेशा स्वीट 16 ही दिखे तो फिर आजमा ही लीजिए ये टिप्स।


  

Instinctively how to achieve in hindi

सहज बोध कैसे हासिल हो




आप कहेंगे कि बिना किसी सोच-विचार के हाथ पर हाथ धरे बैठना ही सहज होना है तो आप गलत हैं। सहज होना चित्त और मन की वह अवस्था है, जहां आप निर्विचार हो जाते हैं। जब आप अपने मन की सभी ग्रंथियों से मुक्त होकर बोध की अवस्था में जाग्रत होते हैं, आपकी सभी इंद्रियां गतिविधि शून्य होकर एकाकार हो जाती हैं, आप स्वयं का साक्षात्कार कर रहे होते हैं, चित्त के सभी भ्रम अदृश्य हो जाएं तो फिर सहज भाव का आविर्भाव होता है।

 


यहां अभी हम बात कर रहे हैं ध्यान के सहज प्रयोगों की यानि सहज बोध को प्राप्त करने के लिए ध्यान को एक उपकरण की भांति इस्तेमाल करने की. किंतु ये दुर्लभ है...दुर्गम्य है, अतएव अलंघ्य है। ख्याल रहे कि सहज बोध के लिए चित्त का सरल होना आवश्यक है जैसे कि महावीर का चित्त। महावीर जब साधना से उठे तो उनके शरीर से वस्त्र गिर गए, वे अनावृत हो गए। उन्हें इसका ख्याल ही नहीं रहा कि उनको वस्त्रों की आवश्यकता है. वे निर्विकार थे बस बढ़ते गए। उन्हें इसकी फिक्र क्यों होने लगी कि समाज क्या कहेगा? आखिर उन्हें फिज़ूल की व्यर्थ बातें उलझा कैसे सकती थीं। यानि महावीर का नग्न होना कोई महान घटना नहीं थी उनके लिए हां, दुनिया के लिए ज़रूर क्रांतिकारी घटना बन गयी ये बात। सचमुच क्रांतिकारी, आंदोलित करने वाली बात जो थी कि एक राजकुमार जो पहले फकीर बना और आखिरकार विक्षिप्त हो गया कि उसे अपने तन का भी होश नहीं रहा. आखिर पागलों जैसे वेश में खुद को संन्यासी समझता हुआ इधर-उधर विचरण कर रहा है।

 


किंतु सहज हो गए तत्वदर्शियों के लिए महावीर की नग्नता एक क्रांतिकारी परिघटना थी. उन्हें महावीर में संभावना नज़र आ गयी और वे आखिरकार महावीर की शरण में चले गए। तो पहले वाली बात पर वापस आते हैं. सहज कैसे बनें जबकि हजारों-हज़ार वर्षों से संस्कारों की परतें मन और चित्त को घेरे हुए हैं , बाकायदा हमारे चारो ओर एक कड़ा पहरा है, जिससे बाहर निकलने की हर कोशिश व्यर्थ साबित हो जाती है। 

 


यहां हमारी मदद काफी हद तक सहज ध्यान कर सकता है. चित्त की निर्विकार अवस्था को पाने के लिए हमें मन से लड़ाई करने की जरूरत नहीं क्योंकि लड़ाई एक द्वंद पैदा करती है, संघर्ष की अवस्था तनावयुक्त है. इससे जो स्ट्रेस जन्म लेता है, वह सहज ध्यान में सबसे बड़ी बाधा है ,इसके लिए चिंता मुक्त मन, अपेक्षा रहित चित्त की जरूरत है तभी ध्यान के भविष्यगामी प्रयोग सफल होंगे।

 

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Friday 25 September 2015

saptarshi stars in english




Seven stars in the sky "is the location of rishion, mysterious facts-the night time sky millions-karodo a diamond scattered stars. Something we seem to have yourself some pretty much takes away. Some wiring size small some big. But did you know that these are some of the countless stars stars that have a significance, to name a few and some recognition. The way our Earth is part of a saurmandal, also stars in the sky by special mandalon divided into.

Of course science has discovered that many stars mandalon is a zone, but composed thousands of years ago by modern science in Vedas was mention of certain star mandalon. Most of these special saptarshi Mandal. A system that is tied into the formula of the seven sages.

Science by saptarshi Mandal, "Maj Tara time great bare" & "big bare ' means big bear also said. But the picture of the seven sages in Vedas saptarshi showing Star Division said. These exist in a zone, Tara Mandal seven Sage but how to make this zone?

Hinduism for four great enlightenment in Scripture are included-Rigveda, samved, yajurved and atharva Veda. All the Vedas many innovations prove to be helpful from time to time. All these texts to the creation of great poets mantron is Sage. The creation of these mantras in the sages to be the great sage had achieved them padvi saptarshi Mandal was incorporated into Tara. But who are they?

Seven great sages Tara saptarshi Mandal, but who they are, what their name is and on what basis they made this particular part of Tara Mandal is very important to know. If the information in these seven sages through the Vedas tried to accomplish this difficult task.

But after the Vedas were created in the Upanishads the answer has been included. To study the Vedas on the seven sages or Rishi reveals total names, they are: vashisht, atri, vishwamitra, vamdev and kanva, Bharadwaj, shaunak.


It is believed that it is a descendant of Rishi or even these saptarshi Mandal became part of Tara but every single manvantar you to a different Sage Rishi Mandal. Manvantara on?

Manvantara,  that Manu + gap, a time which is a Manu explaining life. Creator of creation God Brahma from his resolve by Manu was constructed. Manu has created this world, their understanding within living organisms. These are all composed while Manu as years are alive to each manvantara period.

As soon as a Manu died, Brahma-ji for creation by the creation of other Manu. Based on these manvantaron has various sages mentioned that saptarshi Mandal is the star in position. The Puranas also list of seven sages plough zone is included.

According to the Vishnu purana this manvantara plough are as follows: vashishthakashyapo yatrirjamdagnissagaut. Vishvamitrabharadvajau SAPTA saptarshayobhvan. Namely in the seventh manvantara plough: vashisht, Kashyap, atri, vishwamitra jamdagni, Gautam, and Bhardwaj.

In addition to the above list of Puranas also list related to the saptarshis-Ketu, pulah, paulista, atri, angira, vashisht, and mariachi. It would be extremely interesting to know that in Vedas describes the seven sages of the saptarshi taramandal, who they are and what.

First King of Ayodhya, dasaratha's who are Vasisht with barely 72. Their guidance was very important for the King dasharatha. There are other Sage vishwamitra that mythological kamdhenu cow war context and more. Guru vashisht and vishwamitra kamdhenu cow in battle.

Third are the Sage kanva, the Sage of Vedic times. That this country's most important kanvon the somyagya yajna was organized by. Fourth Sage bhardwaj that Vedic vision high method is considered Sage. According to a legend the Ashram Sri Ram at the time of their exile, too.

The Sage atri, fifth son of Lord Brahma are Mon's father and husband of anusuya. It is believed that Sage atri in the context of their Zoroastrian religion the religion of reason agnipujkon Herald. Sixth Sage vamdev they who provided the music. The last of this Division and the seventh Sage shaunak gurukul ten thousand students by running was achieved the singular honor of Patriarch.

All these functions of the sages and wise on these have been included in a special Star Division. But where is their location in the sky? In fact, in the northern hemisphere of the earth sky taramandal saptarshi glance. It is not in the sky throughout the year taramandal, rather it is a deadline. How can you see the saptarshi taramandal?

This zone you falgun-Chaitra month shravan-bhadrapad month seven stars in the sky as a group. It's all stars look near each other. There are four stars square and three oblique lakir.

If imaginary lines are added to these cables so it looks like the shape of a question mark. Also this is a photo of the kite flying in the sky also shows, that the last three stars a door too. It also creates a spoon size taramandal, whose large part downwards.

It is amazing how in the Vedas from a key position involved in a Saints taramandal resulting in kalyug they Sky today all over the world do your lights. But only lights to give their work, but it's also our guidance differently.

The biggest example is sea travel time using various stars. This very old to cruise & was paramparik way. Way pole star which in English is known as the Pole Star, many sailors managed to show the right way, to visit the sea of saptarshi also used of Tara Mandal.

Saptarshi Mandal taramandal due to its large seven wires. Its size becomes too large to the fictional rekhiyakran, which consequently sailors it is easily visible.







saptarshi stars in hindi

आकाश में यह तारे नहीं ‘सात ऋषिओं का स्थान है’, जानें रहस्यमय तथ्य !


रात्रि के समय आकाश में लाखों-करोड़ो तारे टिमटिमाते हैं। कुछ हमें खुद से पास लगते हैं तो कुछ बहुत ज्यादा दूर लगते हैं। कुछ तारों का आकार छोटा है तो कुछ का बड़ा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन अनगिनत सितारों में कुछ तारे ऐसे भी हैं जिनकी अपनी एक महत्ता है, कुछ नाम है और कुछ पहचान है। जिस तरह से हमारी पृथ्वी एक सौरमण्डल का हिस्सा है, उसी प्रकार से आकाश में मौजूद सितारों को भी विशेष मण्डलों में बांटा जाता है।

बेशक विज्ञान ने ऐसे कई मण्डलों की खोज की है जो विभिन्न सितारों का एक मण्डल बनाते हैं, लेकिन आधुनिक विज्ञान से हज़ारों वर्ष पूर्व रचित वेदों में कुछ खास तारा मण्डलों का ज़िक्र किया गया था। इनमें से सबसे खास है सप्तर्षि मण्डल। एक ऐसा मंडल जो सात ऋषियों के सूत्र में बंधा है।

विज्ञान द्वारा सप्तर्षि तारा मण्डल को ‘अरसा मेजर’, ‘ग्रेट बेयर’ एवं ‘बिग बेयर’ यानी कि बड़ा भालू भी कहा गया है। लेकिन वेदों में इसे सात ऋषियों की तस्वीर दिखाने वाला सप्तर्षि तारा मण्डल कहा गया है। इन मण्डल में मौजूद सात ऋषि मिलकर एक तारा मण्डल बनाते हैं, लेकिन कैसे बना यह मण्डल?

हिन्दू धर्म में ज्ञान प्राप्ति के लिए चार महान ग्रंथ शामिल किए गए हैं - ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। यह सभी वेद कई अनुसंधानों में समय-समय पर सहायक साबित होते रहे हैं। इन सभी ग्रंथों में मन्त्रों की रचना करने वाले महान कवियों को ऋषि माना गया है। इन्हीं मंत्रों की रचना करने में जिन ऋषियों ने महान ऋषि होने की पद्वी हासिल की थी, उन्हें ही सप्तर्षि तारा मण्डल में शामिल किया गया था। लेकिन वे कौन हैं?

सप्तर्षि तारा मण्डल सात महान ऋषियों से बना है, लेकिन वे कौन हैं, उनके नाम क्या है और किस आधार पर उन्हें इस विशेष तारा मण्डल का हिस्सा बनाया गया यह जानना बहुत जरूरी है। यदि वेदों के माध्यम से इन सात ऋषियों की जानकारी हासिल करने की कोशिश की जाए तो यह एक मुश्किल कार्य है।

लेकिन वेदों के बाद रचे गए उपनिषदों में इसका जवाब शामिल किया गया है। वेदों का अध्ययन करने पर जिन सात ऋषियों या ऋषि कुल के नामों का पता चलता है, वे इस प्रकार है: वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक।
माना जाता है कि यह ऋषि या इन्हीं के वंशज भी आगे सप्तर्षि तारा मण्डल का हिस्सा बने लेकिन हर एक मनवंतर में आप ऋषि मण्डल में एक अलग ऋषि को पाएंगे। पर मन्वन्तर है क्या?

मन्वन्तर यानी कि मनु + अंतर, एक ऐसा समय जो एक मनु के जीवन की व्याख्या करता है। सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा द्वारा अपने संकल्प से मनु का निर्माण किया गया था। मनु ने ही अपनी समझ से यह संसार बनाया, इसके भीतर रहने वाले जीव बनाए। इन सबकी रचना करते हुए मनु जितने साल जीवित रहे उस प्रत्येक काल को मन्वन्तर कहा गया है।

जैसे ही एक मनु की मृत्यु हुई तो ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि को चलाने के लिए दूसरे मनु की रचना की गई। इन्हीं मन्वन्तरों के आधार पर विभिन्न ऋषियों का उल्लेख किया गया है जिन्हें सप्तर्षि तारा मण्डल में स्थान हासिल है। पुराणों में भी सप्तऋषि मण्डल के सात ऋषियों की नामावली शामिल की गई है।

विष्णु पुराण के अनुसार इस मन्वन्तर के सप्तऋषि इस प्रकार हैं: वशिष्ठकाश्यपो यात्रिर्जमदग्निस्सगौत। विश्वामित्रभारद्वजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।। अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार हैं: वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।

उपरोक्त बताई गई नामावली के अलावा पुराणों में भी सप्तर्षियों से संबंधित नामावली है - केतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरा, वशिष्ठ तथा मारीचि। ये जानना बेहद रोचक होगा कि वेदों में सप्तर्षि तारामण्डल के जिन सात ऋषियों का वर्णन दिया गया है, वे कौन हैं तथा उनका क्या महत्व है।

सबसे पहले हैं वशिष्ठ, जो अयोध्या के राजा दशरथ के कुलगुरु माने जाते हैं। इनका मार्गदर्शन राजा दशरथ के लिए अति महत्त्वपूर्ण था। दूसरे ऋषि हैं विश्वामित्र जिन्हें पौराणिक कथाओं में कामधेनु गाय के लिए युद्ध करने के संदर्भ से ज्यादा जाना जाता है। गुरु वशिष्ठ तथा विश्वामित्र में ही कामधेनु गाय के लिए युद्ध हुआ था।

तीसरे ऋषि हैं कण्व, जिन्हें वैदिक काल का ऋषि कहा जाता है। माना गया है कि इस देश के सबसे महत्वपूर्ण यज्ञ सोमयज्ञ को कण्वों ने व्यवस्थित किया था। चौथे ऋषि भारद्वाज हैं जिन्हें वैदिक दृष्टि से उच्च पद्धति का ऋषि माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार वनवास के समय श्री राम इनके आश्रम भी गए थे।

पांचवे ऋषि हैं अत्रि, जो कि भगवान ब्रह्मा के पुत्र, सोम के पिता और अनुसूया के पति थे। अत्रि ऋषि के संदर्भ में यह मान्यता है कि इनके कारण ही अग्निपूजकों के धर्म पारसी धर्म का सूत्रपात हुआ था। छठे ऋषि वामदेव वे हैं जिन्होंने इस देश को संगीत प्रदान किया है। इस मण्डल के आखिरी तथा सातवें ऋषि शौनक द्वारा दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया गया था।

इन सभी ऋषियों के कार्य तथा समझदारी के बल पर इन्हें एक खास तारा मण्डल में शामिल किया गया है। लेकिन आकाश में इनका स्थान कहां है? दरअसल सप्तर्षि तारामण्डल पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध के आकाश में नज़र आता है। यह तारामण्डल पूरे वर्ष आकाश में नहीं होता, बल्कि इसे देखने की एक समय सीमा है। तो कब देख सकते हैं आप सप्तर्षि तारामण्डल?

इस मण्डल को आप फाल्गुन-चैत्र महीने से श्रावण-भाद्रपद महीने तक आकाश में सात तारों के समूह के रूप में देख सकते हैं। यह सभी सितारे एक-दूसरे के समीप ही नज़र आते हैं। इसमें चार तारे चौकोर तथा तीन तिरछी लक़ीर में रहते हैं।

यदि काल्पनिक रेखाओं से इन तारों को जोड़ा जाए तो यह एक प्रश्न चिन्ह के आकार की भांति दिखता है। इसके अलावा यह एक आकाश में उड़ रही पतंग की तस्वीर भी दिखाता है, जो आखिरी तीन सितारों से एक डोर भी बना रही है। अंत में यह तारामण्डल एक चम्मच का आकार भी बनाता है, जिसका बड़ा भाग नीचे की तरफ है।

यह आश्चर्यजनक ही है कि किस प्रकार से वेदों में अपना एक अहम स्थान बनाने वाले ऋषियों को एक तारामण्डल में शामिल किया गया जिसके फलस्वरूप आज भी कलयुग में वे आकाश में रहकर पूरे विश्व में अपनी रोशनी फैलाते हैं। लेकिन केवल रोशनी देना ही उनका कार्य नहीं है, बल्कि यह विभिन्न रूप से हमारा मार्गदर्शन भी करते हैं।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण है समुद्र यात्रा के समय विभिन्न सितारों का प्रयोग करना। यह समुद्री यात्रा करने का बहुत ही पुराना एवं पारम्पारिक तरीका माना गया है। जिस प्रकार से ध्रुव तारा जिसे अंग्रेजी में पोल स्टार के नाम से जाना जाता है, अनेक नाविकों को सही रास्ता दिखाने में कामयाब रहा है, उसी प्रकार से समुद्र यात्रा के लिए सप्तर्षि तारा मण्डल का भी इस्तेमाल किया गया।

सप्तर्षि तारामण्डल अपने मण्डल में सात तारों के होने के कारण काफी बड़ा दिखाई देता है। इसका आकार भी काल्पनिक रेखीयकरण करने से बहुत बड़ा बन जाता है, जिसके फलस्वरूप नाविकों को यह आसानी से दिखाई दे जाता है।


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Epic Mahabharta is real




Mahabharata, the fact you speak for the whole world in wonder. Not only Indian but are also highly affected overseas. Several of the Mahabharata character still leave their mark on the entire project complete tracking South. Yet it is a knotty question the status quo prevails it is deemed to be actual history or fiction barely yield?

Imagine the Mahabharata of history or acknowledge their own arguments. Even in purely to the history behind such arguments exist, should look into that. As far as our own believes that the phenomenon of the Mahabharata, Kurukshetra must samrabhumi of the puratatvashastri and occurred cannot deny the facts. Even more to the shodhon many scientists certified that incidence of Mahabharata is a reality, not a myth or fiction-literature.

It needs to know what the hell there are facts which are proved to the Mahabharata history. Today we would like to go into the details of this issue.

Imagine the Mahabharata to prove kapol-first behind the question raised on its poetic style. It is said that history could be written in a style that is how historical narrative must be gadyatmak for style. Imagine the Mahabharata to prove these most wrong argument.

The antiquity of Vedic Indian historical literature by Eocene 40 literature will be considered. Mantrokt and richaen of the Vedas themselves were hatched in poetic lyrical style, which required a number of physical life is described on upangon. Narrowest of earthly life instead of life vibrancy to live from the Vedas many dimensions piece. Many natural forces acts the same critical approach.

Kalhana's rajtarangini these if we look at the matter automatically certified. Then build in Indian history was lyrical poetic style and gadyatmak instead of padyatmak from the Eocene 40 India Sultanate style of historical compositions. Ottoman and European historians write history in prose style, denying the historicity of the Mahabharata give only to legitimate.

The above description of detail and come vanshavliyon Mahabharata and Ramayana hatched before being surprisingly identical to sync several characters. These are no mere coincidence may not be the world and wadowice, set up a number of monarchs and their capitals and States mentioned in detail. In the battle of Kurukshetra, huge Kings way with thousands of troops and finally certain warrior only left her the magnitude of mahayuddh can be estimated.

If these are only hypothetical undertaking would plot to empower mahaz require a few characters but not a historian. He then would give full details of the event so that the actual event is not injustice anywhere. It just can be used only when the event including all eligible and providing site obviousness little by little also included. ... ...

Wadowice has followed suit. He mahayuddh ukerne all events before and after which tried to question its historicity is not up. Besides Mahabharata in planet-including their situations and onwards, the ascendant-bode nakshatras etc also. After all why would think it was. If only the Mahabharata is the attempt to compose fictional means what? Somewhere this thing proves to look its historicity. Then circumstances which planet-star etc were what state it is only mention in history.

At that time many mentions of mahannagron such as Dwarka, indraprastha etc do not even mention anaitihasik. This thing has been certified by the modern discoveries wholly Mahabharata carpet Dwarka had existed in addition kamboj, gandhra, indraprastha, hastinapur "etc. of real equation has been installed.

Some base for which it is entirely fictional creation is described. Using cutting-edge destroyer then like conditions undermine description including divyadrishti etc. It would not be reasonable to say that at that time was how such techniques can be ... ... ....

But just please consider whether such advanced technology without the availability of his imagination might be possible in that period? Of course, it was possible only while such technologies are exist, but after the fall of civilization and destroyer nagrikran war was inevitable and that happened.

To compose this wadowice themselves great mention of the word "history". If these poets would only imagine wadowice why? Note all of the Mahabharata verses to appear to prove its historicity because many events and characters from the way these places, they are simply a historical description is only possible in the case of affected otherwise spark interest and its imaginary creator will crank it risk!

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Wednesday 23 September 2015

why we should never eat food in kadai in hindi

    शास्त्रों के अनुसार कभी भी "कड़ाही में खाना नहीं खाना चाहिए", क्यों!

 

देश-देशांतर घूमिए तो आपको कई हैरान करने वाली बातें नज़र आती हैं। कुछ रीति-रिवाज अचंभित करते हैं तो कुछ मान्यताएं भी चौंकाती हैं। कई ऐसी भी मान्यताएं होती हैं, जिनका कोई तार्किक प्रमाण नहीं मिलता। कुछ के पीछे खालिश परंपराएं होती हैं वहीं कुछ ऐसी भी मान्यताएं होती हैं जिन्होंने अपनी जड़ मजबूती से जमा रखी होती है। आज ऐसी ही एक बात याद आ गई जिसे हम बचपन में अक्सर सुना करते थे। “कड़ाही में खाने” से जुड़ी ये बात आज भी काफी हद तक कस्बाई क्षेत्रों सहित गांवों में सुनने को मिल ही जाती है। कहते हैं कि यदि किसी भी लड़की या लड़के ने कड़ाही यानि फ्राइंग पैन में भूल से भी खाना खा लिया तो उसके विवाह में अवश्य ही बारिश और उत्पात होते हैं। कितनी सच है ऐसी मान्यता, इस बारे में कुछ भी खास अनुभव तो हमें नहीं मिला किंतु जिस तरह से इस बारे में सुना जाता है, लोगों का भरोसा है इस पर, वो जरूर सोचने को बाध्य करती है।

 

छानबीन करने पर ये ज्ञात होता है कि इससे हाइजीन का मुद्दा अधिक जुड़ा है। प्राचीन काल में अक्सर खाना बनाने वाले भण्डारी या रसोइए सबसे बाद में खाते थे। महिलाएं भी सबको खिला देने के बाद ही आखिर में बचा-कुचा खाती थीं। ऐसे में वे पहले ही थकी होती थीं इसलिए जल्दबाजी में कड़ाही में ही सब कुछ मिला कर खा लेती थीं। रसोइए भी ज्यादातर ऐसा ही करते थी, जिससे हाइजीन की प्रॉब्लम पैदा होती थी। कड़ाही लोहे की बनती थी, जिसको पूरी तरह साफ करना पहले उतना आसान नहीं था। जिस तरह से आज कई ऐसे डिश वाशिंग पाउडर या लिक्विड उत्पाद उपलब्ध हैं और उनसे बड़ी आसानी से कड़ाही साफ हो जाती है, वैसा पहले होना मुमकिन नहीं था। पहले सामान्यतः पुआल और राख का इस्तेमाल बर्तन धुलने के लिए होता था। कई जगहों पर कोयले का भी प्रयोग किया जाता था। लेकिन जूठी लोहे की कड़ाही बाहर से भले ही साफ दिखे, अंदर से यानि आंतरिक रूप से स्वच्छ नहीं हो पाती थी। ऐसे में ये बात एक समस्या बन कर उभरी होगी कि कैसे कड़ाही में खाने से रोका जाए।

 

एक बात हम सभी जानते हैं कि किसी भी निषेध को तभी लागू किया जा सकता है जबकि उसके पीछे कोई कानून, मान्यता, धार्मिक संस्कार या भय जोड़ दिया जाए अन्यथा की स्थिति में उसको अनुपालित करवा सकना बेहद मुश्किल कार्य है। इसीलिए कई ऐसे स्वास्थ्य विषयक नियम लागू करवाने के लिए किसी न किसी मान्यता या धर्म का सहारा लिया गया। कुछ यही बात कड़ाही में खाने से भी जुड़ी मालूम होती है।

 

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Monday 21 September 2015

what is sanatan dharma in hindi

 sanatan dharma 

 सनातन धर्म: "अनन्त पथ"

धर्म देवी के साथ आदमी का संघ है, और धर्म का परम उद्देश्य सत्य की प्राप्ति है। सत्य का प्रतीक है जो रूपों वे सब अवधारणा अतिक्रमण जो सत्य ही है, नहीं कर रहे हैं, केवल संकेत कर रहे हैं। सत्य यह गले लगाने के लिए करना चाहता है जो बहुत मन अतिक्रमण के लिए अपने प्रयासों में मन, हमेशा असफल चाहिए तर्क के माध्यम से सत्य को समझने के लिए।



 सनातन धर्म: दुनिया में शाश्वत पथ / सदा संस्कृति

  सनातन धर्म दुनिया के धर्मों के बीच में अद्वितीय है। हम ऐसे मुकाम पर पहुंच यह जीवन का एक ही रास्ता है या सर्वोच्च बल के लिए एक रास्ता माना जाता है का प्रचार कर सकते हैं। के साथ शुरू करने के लिए, यह मानव जाति की सबसे पुरानी आध्यात्मिक घोषणा, इस ग्रह पर आस्था के बहुत जड़ है। सनातन Dharama आदरणीय उम्र की परिपक्वता के लिए यह अनुभवी गया है। यह मेरी एक भी ऐतिहासिक घटना या नबी में स्थापित नहीं है, जो ज्ञान है, लेकिन जो अपने आप में दर्ज इतिहास पछाड़ करने के लिए, केवल अनन्त पथ है।  

 सनातन धर्म में यह लगभग हर प्रमुख धर्म को प्रभावित किया है और आंशिक रूप से, क्योंकि "सभी धर्मों की माँ" "आध्यात्मिकता का उद्गम स्थल है," और बुलाया गया है यह अन्य सभी धर्मों, सम्मान को अवशोषित और उनके शास्त्रों, उनकी संतों, गले लगा सकते हैं, आंशिक रूप क्योंकि उनकी दर्शन। सनातन धर्म इस में या भविष्य के जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान और मुक्ति प्राप्त करने के लिए, बिना किसी अपवाद के सभी वास्तविक आध्यात्मिक प्रयास पर करुणा से लग रहा है और सभी आत्माओं देवी / सुप्रीम फोर्स के साथ संघ की ओर विकसित हो रहे हैं कि निश्चय जानता है, और सब किस्मत में हैं, क्योंकि यह संभव है ।

 
बेशक, दुनिया में किसी भी धर्म के लोगों के भीतर एक मन परत है, यह नहीं है? यह जानबूझकर लगता है, अवचेतन और एक तरह subsuperconsciously और जो अपने खुद का समाधि और हम एक धर्म कॉल कर सकते हैं जो बल क्षेत्र श्रृंगार जो उनके नेताओं की समाधि द्वारा निर्देशित कर रहे हैं, जो लोगों के एक समूह है। यह मन के बाहर मौजूद नहीं है। एक खास धर्म के लोग सब एक ही अनुभवों के साथ प्रभावित किया गया है। वे सब एक ही है या इसी तरह के विश्वासों और व्यवहार स्वीकार कर लिया है, और उनके आपसी सहमति सिद्धांत और भोज की, फैलोशिप और उद्देश्य के बंधन बनाता है।

 
सनातन धर्म के माध्यम से मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं, जो लोगों के एक मन संरचना का हिस्सा है। वे समझते हैं, स्वीकार करते हैं, स्वीकार करते हैं और दुनिया के सभी लोगों से प्यार है, ठीक धार्मिक / आध्यात्मिक लोग होने के रूप में उनके मन के भीतर उन्हें शामिल कर सकते हैं। Sanatanist वास्तव में एक भी अनन्त पथ मानना ​​है कि वहाँ है, लेकिन वह किसी एक धर्म ही मान्य धर्म या मुक्ति के लिए आत्मा का नेतृत्व करेंगे कि केवल धर्म है कि विश्वास नहीं करता। बल्कि, अनन्त पथ सभी धर्मों में दिखाया जाता है।
इसे दूसरे तरीके से कहें, भगवान या देवताओं की इच्छा सभी वास्तविक पूजा और सेवा में काम पर है। यह सच है कि "सनातन धर्म में कहा जाता है। पथ कई हैं। "यह धर्म शुरू होता है जहां आत्मा में ही निहित है, क्योंकि सत्य की खोज, भगवान के लिए, सनातन धर्म या शाश्वत पथ कहा जाता है। इस पथ, स्रोत को यह वापसी, कभी आदमी में विद्यमान है, और वह प्रक्रियाओं या नहीं के बारे में पता है, चाहे वह काम पर है। इस आदमी की खोज और उस आदमी की खोज नहीं है। प्रेरणा कहां से आया है? यह आदमी खुद के अंदर से आता है। यह प्रेरणा के इस मूल स्रोत, एक ऊर्जा के क्षेत्र में देने के भीतर आत्मा की यह पहली आवेग, और अब में सदा अक्षय है कि एक जीवंतता पर निर्भर करता है के लिए इस प्रकार, सनातन धर्म कभी सक्रिय और जीवित है।

 
स्वाभाविक रूप से, Sanatanist विश्वास आध्यात्मिक unfoldment के सबसे अधिक व्यावहारिक और प्रभावी साधन, व्यापक है कि लगता है, लेकिन वह एक अनन्त पथ की अभिव्यक्ति के रूप में उसकी Sanatanist मन में दुनिया के सभी धर्मों में शामिल हैं और अपने सिद्धांतों के अनुसार अनुपात में प्रत्येक को समझता है और हठधर्मिता। उन्होंने कहा कि कुछ मान्यताओं और भीतरी नजरिए दूसरों की तुलना में आध्यात्मिक विकास के लिए अधिक अनुकूल हैं कि जानता है, और सभी धर्मों इसलिए एक ही नहीं कर रहे हैं। वे अलग, महत्वपूर्ण तरीकों में। फिर भी, एक की सनातन धर्म में जो भी कोई मतलब नहीं है "एक ही रास्ता है।" एक भक्त Sanatanist एक शुद्ध और धार्मिक जीवन के लिए नेतृत्व कि सभी प्रयासों का समर्थन है।

 
सनातन धर्म भी अपने विश्वासों में पूरी तरह सिद्धांतवादी, अत्यंत सांप्रदायिक है। कर्म और पुनर्जन्म के अपने सिद्धांतों, अहिंसा और करुणा के अपने दर्शन, रहस्यमय वास्तविकताओं के अपने निश्चय के अनुभव ajnd और अपनी सार्वभौमिकता स्थिर दृढ़ विश्वास के साथ आयोजित की जाती हैं। शायद यह सनातन धर्म जीवन का एक ही रास्ता है या सिद्धांत की तुलना में अधिक अनुभव के एक चिरस्थायी पथ है कि इस तथ्य के कारण है। यह इस सच्चाई का स्वभाव है, "अपने अनुयायियों के लिए कहने के लिए पसंद करते हैं, और ये है कि सत्य को महसूस किया जा सकता है जिसके द्वारा साधन हैं। यहाँ समय झेल और सबसे प्रभावी साबित कर दिया है, जो परंपरा है। अब, आप अपने आप को करने के लिए उन्हें साबित करना, अपने जीवन में उन्हें परीक्षण कर सकता है। आप दरवाजे thusly विश्वास करना चाहिए या निंदा की जानी। "इसे हिंदू धर्म में कोई भी सदा निंदा कर रहे हैं माना जाता है कि" सनातन धर्म कहते हैं, कभी नहीं होगा। " जीवन की भलाई में यही प्यार स्वीकृति और निरंतर विश्वास मैं ऐसे मुकाम पर पहुंच सनातन धर्म जीवन का एक तरीका है का कहना है कि एक और कारण हैं।

 
सनातन धर्म के भीतर, हर धार्मिक प्रणाली के भीतर के रूप में, पवित्रता, ज्ञान और जीवन की शांति प्राप्त करने का व्यावहारिक साधन हैं। प्रत्येक Sanatanist अधिमानतः एक निश्चित और लगातार समय में, हर दिन एक पूजा में भाग लेने से जुडा हुआ है। उन्होंने कहा कि पुण्य के नियमों और नैतिकता के कोड का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरों की सेवा के लिए अपने समुदाय के भीतर धर्म का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कभी-कभी पवित्र धार्मिक स्थलों और मंदिरों को तीर्थ यात्रा, और संस्कारों में हिस्सा लेना चाहिए। वह एक पुराने आत्मा है, और अधिक उन्नत है, तो वह अनुशासन और तप की साधना और तपस के कुछ रूपों, शुरू करने के लिए, खुद की उम्मीद है, उम्मीद है।

 
यह व्यापक और पूछताछ करने के लिए मन की स्वतंत्रता में खुला है, सनातन धर्म और आत्मा, पर रखा उच्च मांगों और जिम्मेदारियों को जागृत devotees- की अपनी उम्मीदों में बाल बाल सख्त है। विश्वास के अन्य सिस्टम पूरी तरह से उच्च मन के ढांचे के भीतर स्वीकार्य मन संरचनाओं हैं और यद्यपि, सनातन धर्म का कोई रास्ता नहीं है। कोई बहिष्कार नहीं है। विच्छेद का कोई मतलब नहीं है। आप को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है और स्वीकार किया गया एक बार कोई छोड़ने सनातन धर्म है। ऐसा क्यों? सनातन धर्म के भीतर ही धर्म के पूरे होता है क्योंकि यही है। एक हिंदू धर्म छोड़ कर गोद ले सकते हैं, जो नहीं "अन्य धर्म" नहीं है, उन सब को, अनन्त पथ, सनातन धर्म का योग है, जो एक धर्म के ही अन्य पहलुओं।

 
यह खुला -mindedness और करुणा और अभी उल्लेख सहिष्णुता के सभी गुणों का अभाव है, अगर मैं कहूँगा कि, हिंदू धर्म अकेले अपनी गहन रहस्यवाद के आधार पर सबसे बड़ा धर्म होगा। कोई अन्य विश्वास अस्तित्व के रहस्यों की इतनी गहरी और स्थायी समझ समेटे हुए है, या इतना विशाल आध्यात्मिक प्रणाली के पास। सनातन धर्म में धार्मिक खुलासे के गोदाम में गिना जा सकता है। मैं कहीं नहीं अपने बराबर का पता है। यह ध्यान और चिंतन और आत्म बोध का योग की पूरी प्रणाली, शामिल हैं। कहीं और कभी नहीं प्रणाली के भीतर आदमी के भीतर का शव, सूक्ष्म Pranas और चक्र या मानसिक केन्द्रों के इस तरह के व्यावहारिक रहस्योद्घाटन नहीं है। समाधि के भीतर राज्यों का पता लगाया और दृष्टि और जो बाढ़ आदमी की जागा आंतरिक चेतना आवाजों को स्पष्ट सफेद रोशनी से सनातन धर्म में पूरी तरह से मैप कर रहे हैं। पश्चिम में यह सनातन धर्म कहीं मौजूद नहीं है जो जवाब के पास और कभी मजबूत बनाने मन तबके में जागरूकता का मार्गदर्शन करने में सक्षम है कि प्रबल लेने के बाद की खोज, सनातन धर्म या चेतना के राज्यों को समझने के लिए तैयार की गई है, जो mystically जागृत आत्मा है।

 

स्पष्ट संघर्ष में, शास्त्रों पहले हम कैसे जीना चाहिए समझाने के वर्षों के हजारों लिखा है, और उम्र भर संतों और ऋषियों और संतों यह है कि जिस तरह से जीने के लिए असंभव है कि हमें बताया है। तो, सनातन धर्म असफल वाले लोगों के लिए प्रयास करते हैं जो उन लोगों के लिए और एक महान माफी के लिए एक महान सहिष्णुता है। यह अपने आप ही सख्त नैतिकता के अनुसार जीवन जीने में जो सफल पर विस्मय में लग रहा है। सनातन धर्म में हम बहुत से, कई संतों की है। आप जीवन के हमारे रास्ते में एक संत को स्वीकार किया जा करने के लिए मरने के लिए नहीं है, आप जीना है। Sanatanist, शायद पृथ्वी पर सभी अन्य लोगों के अलावा, एक मानव शरीर में रहने की कठिनाइयों का एहसास है और सच आध्यात्मिकता प्राप्त करने वालों को विस्मय में देखो।

 
Sanatanist पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। उन्होंने कहा कि वह रहता है, जिसमें शरीर है, लेकिन एक निश्चित उद्देश्य के लिए एक शरीर पर लेता है, जो आत्मा या जागरूकता नहीं है कि विश्वास रखता है। उन्होंने कहा कि वह इस प्रक्रिया को एक ही जीवन भीतरी प्रगति पर लगाया जा सकता है कि सीमा से परे तक पहुंच गया, प्रक्रिया जारी रहती है कि, एक ही जीवन में शुरू और अंत नहीं है कि, एक बेहतर जन्म हो रहा है विश्वास करते हैं। बेशक, कर्म में अपने विश्वास है कि वह एक निश्चित तरीके से व्यवहार करती है, तो एक बेहतर जन्म, प्रगति की है कि अंदर की ओर, केवल आ जाएगा कि उसे आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वह अपने खुद के कार्यों द्वारा मई एक तथाकथित की आवश्यकता कमाते हैं, वह अपने भविष्य के जीवन में अपराधों, या भविष्य के जीवन के लिए भुगतना होगा, सनातन धर्म नैतिकता के लिए, प्राकृतिक नियमों के अनुसार वह व्यवहार नहीं करता है, तो पता है कि अवर जन्म कहा जाता है, उन्होंने कहा कि वह विफल रहा है जिसमें जन्म में बंद छोड़ दिया, जहां से शुरू करना सही कमाते हैं।

 

कर्म और पुनर्जन्म में विश्वास है कि वे नहीं अंदर से विश्वास है, लेकिन एक प्राकृतिक तरीके से करने के लिए कहा जा रहा से, एक ही निष्कर्ष करने के लिए आ रहे हैं, धार्मिक या नहीं खुद कहते हैं आज, चाहे धर्म, और दुनिया में अभी तक कई लोगों को विशेष रूप से सनातन हैं बाहर। एक एकल जीवन से अधिक समय में यह विश्वास Sanatanist को शांति का एक महान भावना लाता है। उन्होंने कहा कि आत्मा की परिपक्वता कई जीवन, जीवन का शायद सैकड़ों लेता है कि जानता है। वह अभी सही नहीं है, तो कम से कम वह सीखने और बढ़ने के लिए कई अवसर जी नहीं होगा कि, वह प्रगति कर रहा है कि जानता है। यह चिंता समाप्त सब कुछ ठीक रूप में यह है कि निर्मल धारणा देता है। एक आसन्न अंत की एक समय सीमा का कोई मतलब नहीं है, या अपने कार्यों और व्यवहार का एक परम न्याय नहीं करता। आत्मा है कि विकसित यह समझ आध्यात्मिक विकास के सभी चरणों में सभी पुरुषों के लिए मानव हालत और प्रशंसा में Santananist उल्लेखनीय अंतर्दृष्टि देता है

 
सनातन धर्म इतना व्यापक है। यह भीतर पागल के लिए एक जगह है। समझदार के लिए एक जगह है। भिखारी के लिए और भिखारी का समर्थन है जो उन लोगों के लिए एक जगह है। मूर्ख के लिए बुद्धिमान व्यक्ति और कमरे के बहुत सारे के लिए एक जगह है। सनातन धर्म का सौंदर्य यह है, इस जीवन में हर आत्मा पूर्णता के मानव पूर्णता या अनुग्रह बहुत कुछ हासिल किया है, जिसके दौरान एक भी जीवन में लोगों का मानना ​​है की एक आवश्यक निष्कर्ष की मांग नहीं करता है। पुनर्जन्म Sanatanist मानवता के हर स्तर की स्वीकृति देता है में विश्वास करते हैं। कुछ आत्माओं को दूसरों की तुलना में बस पुराने आत्माओं रहे हैं, लेकिन सब स्वाभाविक ही है, स्वाभाविक अमर और देवी की प्रकृति के हैं।

 
सनातन धर्म में यह देवताओं इस दृश्य जहान की तुलना में एक अधिक से अधिक जहान वहाँ मौजूद है, जिसमें इस दुनिया के भीतर सूक्ष्म जगत में एक भीतरी दुनिया में एक अलग दुनिया में रहते हैं, जो गतिशील प्राणियों, सोच, जी रहे हैं कि माना जाता है। इस Sanatanist के लिए, pervades बनाता है और ब्रह्मांड के लिए आवश्यक है कि गाइड डिवाइन विल के प्रति समर्पण। Sanatanist इन प्राणियों वास्तव में बूझकर विकासवादी प्रक्रियाओं गाइड, पृथ्वी पर अपने अनुभवों के मार्गदर्शन का मानना ​​है कि। इसलिए, वह खुद को अधिक से अधिक किया जा रहा है के रूप में इन प्राणियों की पूजा करते हैं, और उन्होंने कहा कि वह ब्रह्मांड की इन भव्य बलों के साथ अभ्यस्त है, सोच अगर उन की ओर एक व्यक्तिपरक रवैया रखता है, उसकी व्यक्तिगत इच्छा इन महान प्राणियों के लिए उसे क्या होगा के साथ चरण में है । यह एक महान संस्कृति, एक महान दृष्टिकोण, दूसरे के लिए एक महान सहिष्णुता और दयालुता एक को जन्म देता है। यह जीवन के लिए दृष्टिकोण में विनम्रता को जन्म देता है। नहीं एक कमजोर या झूठी विनम्रता, लेकिन सिर स्वाभाविक रूप से धनुष जो पहले जीवन की भव्य उपस्थिति और उद्देश्य की एक मजबूत और परिपक्व भावना।

केवल कुछ ही प्रमुख देवताओं वास्तव में मंदिरों में पूजा की जाती है, हालांकि Sanatanist सब देवताओं का मंदिर में देवताओं के लाखों वहाँ के लिए कहा जाता है। भगवान देवी पिता, या एक संत माता या राजाओं के राजा के रूप में पूजा की जा सकती है कि सनातन धर्म के आशीर्वाद से एक है। यह प्रत्येक एक व्यक्तिगत और महत्वपूर्ण संपर्क करने के लिए प्रदान करता है, और प्रत्येक Santanist अपने भीतर की जरूरत है और संवेदनशीलता के लिए देवता जो सबसे अपील की है कि पहलू का चयन करेंगे। यही नहीं बल्कि Sanaktanist करने के लिए, कुछ को भ्रमित किया जा सकता है। अपने धर्म के भीतर अद्वैतवाद और द्वैतवाद, एकेश्वरवाद और बहुदेववाद, और अन्य धार्मिक विचारों के एक अमीर सरणी है।

सनातन धर्म में भगवान मन और मन की बहुत बुनियाद परे दोनों, उत्कृष्ट और स्थिर दोनों के रूप में स्वीकार किया जाता है। Sanatanist के आदर्श हमेशा भगवान, हर पल के बारे में सोचना है, और भगवान की उपस्थिति का कभी होश में हो रहा है। इस उत्कृष्ट भगवान, निरपेक्ष भगवान मतलब नहीं है। योगी इस ध्येय अनुशासन में विचार करने के लिए है। यही कारण है कि मंदिरों में ईमानदारी से पूजा की जाती है, जो अच्छी तरह से सिद्ध हिन्दू के लिए है, गहरा शास्त्रों का अध्ययन किया और इस सत् गुरु, सबसे हिंदुओं के लिए, भगवान हमारे धर्म में प्रबल जो देवताओं, कई निजी देवों में से एक और Mahadevas इसका मतलब पाया जाने वाला एक ग्रह व्याप्त है, जो किया जा रहा है, उसका मन और होने के साथ से व्याप्त है, और विकास जो गाइड। इस तरह की एक भगवान हिंदू धर्म के फूलों को सुरक्षा और दिशा प्रदान करने में सक्षम है। हिंदू हर जगह भगवान के दर्शन करने के लिए, भगवान के हर दिन के हर मिनट में सोचने के लिए माना जाता है। बेशक, हम में से ज्यादातर भी एक मिनट के एक दिन भगवान के बारे में सोच नहीं है। यही कारण है कि प्रत्येक हिन्दू आचरण या कम से कम एक धार्मिक सेवा, एक पूजा या समारोह, अपने मंदिर या घर मंदिर में हर दिन भाग लेने के लिए बाध्य किया जाता है कि कारण है। यह भगवान और देवताओं को आवक उसका मन बदल जाता है।

 
हिंदू धर्म एक पूर्वी धर्म है, और पूर्वी धर्मों पश्चिम के उन लोगों से बहुत अलग हैं। एक बात के लिए, वे और अधिक आत्मविश्लेषी हैं। बुद्ध का जन्म हुआ और एक अच्छा हिन्दू निधन हो गया था, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म को जन्म दिया। और यह ताओ धर्म को धर्म, जैन धर्म को सिख धर्म और दूसरों के लिए पूर्व के अन्य धर्मों को जन्म दिया।

 

मंदिरों, दर्शन और गुरु: तीन अलग-अलग, अलग हिंदू धर्म के पहलू हैं। यह पिछले एक दशक में हिंदू मंदिरों लगभग दुनिया circumferenced है कि बहुत भाग्यशाली है। अफ्रीका में और दक्षिण एशिया भर में दक्षिण अमेरिका में यूनाईटेड राज्य में यूरोप में मंदिरों,, कर रहे हैं। यह हिंदू मंदिर और पत्थर छवियों उनके दर्शन के माध्यम से उन्हें भीतर तंत्रिका धाराओं बदलने के माध्यम से लोगों के जीवन को बदलने के पत्थर छवि पर और उनके सूक्ष्म आकाशीय रूपों में उड़ना है जो देवताओं के लिए देवता के लिए एक चैनल के रूप में काम करते हैं। लोगों को एक पवित्र मंदिर में आते हैं और चले जाओ, और उस प्रक्रिया में वे धीरे धीरे अंदर बाहर से बदल रहे हैं। अपने जीवन शक्ति को बदल दिया है, क्योंकि वे बदल गए हैं उनके मन बदल दिया गया है और उनकी भावनाओं को एक सूक्ष्म परिवर्तन आया है। हिंदू धर्म के मंदिरों उनकी विशालता में और तीनों लोकों, शारीरिक, बाहरी अस्तित्व के पहले विश्व और भीतर दूसरा और तीसरा संसारों के गंदे नाले लगाना करने की क्षमता में शानदार रहे हैं। जिसकी सलाह सावधानी से और चुपचाप मांग की है एक मंदिर के साथ जुड़े एक होली आदमी नहीं हो सकता है, हालांकि हिंदू मंदिरों, एक पुजारी या मंत्री के आसपास केंद्रित नहीं कर रहे हैं। कोई प्रवचन, कोई मध्यस्थ, तीर्थ की पूजा करने के लिए कोई निर्देशक या गाइड है। मंदिर देवताओं का घर है, और प्रत्येक भक्त अपने ही समय के लिए और अपने स्वयं के विशेष जरूरतों के लिए अनुसार चला जाता है। कुछ एक साथ दूसरों को उनके अच्छे भाग्य में आनन्द और धन्यवाद में भगवान के नाम पर गाने के लिए वहाँ हो जाएगा, जबकि रो और दु: ख के संबंधों में सांत्वना देखने के लिए जा सकते हैं। स्वाभाविक रूप से, नाम देने और शादी और इतने के संस्कारों आगे बारीकी से मंदिर के साथ जुड़े रहे हैं। एक इस प्राचीन धर्म के महान ऊर्जा और जीवन शक्ति पर कब्जा करने के त्योहार के दिनों के दौरान एक हिंदू मंदिर में भाग लेने के लिए ही है।

 
दर्शन के दूसरे खंड में, हिंदू धर्म पता है कि इतिहास के माध्यम से सभी संस्कृतियों की गहरी धार्मिक विचारकों को प्रभावित किया है। यह लेबल किया जा सकता है जो एक साधारण दर्शन नहीं है "हिंदू धर्म।" दरअसल, यह कई दर्शन का एक नेटवर्क है, कुछ मुख से गहरी प्रतिबिंब एक भी उज्ज्वल मन प्रवाह का अभिन्न पहलुओं के रूप में देखा अभी तक पर, दूसरों के लिए अविनयपूर्वक विरोधाभासी होने के लिए। दर्शन के क्षेत्र में शास्त्र, भजन, mantrams, भक्ति भजन और निश्चित रूप से दुनिया में अप्रतिम हैं जो दार्शनिक ग्रंथों के विशाल सरणी शामिल किया जाना चाहिए। चीजों की स्वाभाविक क्रम में मंदिर में पूजा दर्शन पछाड़ दिया है। यह सब देवताओं के इस पवित्र घर, तीनों लोकों संवाद जहां इस पवित्र स्थल है, जहां भीतरी और बाहरी मर्ज के साथ, मंदिर के साथ शुरू होता है। यह भक्तों को बदलने कि वहाँ है। वे और अधिक मंदिरों में रहते हैं कि सिद्ध प्राणियों की तरह, वे भगवान के परम चैतन्य संदेश के वफादार रहे हैं, तो अंदर से उन्हें पढ़ाया जाता है, और उनके लेखन है क्या नीचे लिख, देवता की आवाज बन शास्त्र बन और श्रृंगार बन हिंदू धर्म के दर्शन। दर्शन तो धर्म की आवाज के रूप में अकेले खड़े हो जाओ। वे योगियों और भक्त साधक द्वारा पर ध्यान साधना, विद्वानों के बीच विचार-विमर्श किया, विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है। यह केवल दर्शन सीखने और कभी मंदिर के लिए जा रहा है, या मंदिर के लिए जा रहा सरल से और कभी गहरा दर्शन की सुनवाई से एक अच्छा हिन्दू होना संभव है।

 

हिंदू धर्म अभी भी यह, के भीतर एक और वर्ग है, और है कि सत् गुरु-शिक्षक, प्रकाशक, आध्यात्मिक गुरू है। सत् गुरु अंधकार का हरण है। उन्होंने कहा, दर्शन जानता मंदिर के भीतर के कामकाज जानता है, और खुद में कौन दार्शनिक और मंदिर है, जो एक है। सत् गुरु लोगों के भीतर की भावना को सजीव कर सकते हैं कि वह कौन है। मंदिर और दर्शन की तरह, वह अलग तीर्थ स्थलों से, के अलावा शिक्षा के संस्थानों से, अकेला खड़ा है। उन्होंने कहा कि ज्ञान के स्रोत खुद है, और वह तीर्थ के गंतव्य खुद है। सभी मंदिरों वे दर्शन के लिए, या एक एहसास आदमी की उपस्थिति से बीज से फिर से वसंत होता नष्ट किया जाना चाहिए। सभी शास्त्र और दर्शन जला दिया गया और, अगर वे एक ही स्रोत से फिर से लिखा जाएगा। इसलिए हिंदू धर्म नष्ट नहीं किया जा सकता है। मैं नष्ट नहीं किया जा सकता। यह प्रत्येक जाति में धर्म की भावना के रूप में अस्तित्व में है। इसके तीन पहलुओं, मंदिर, दर्शन और सत् गुरु, व्यक्तिगत रूप से कुशल, एक साथ लेने के लिए हिंदू धर्म दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण और प्रचुर मात्रा में धर्म बनाते हैं।

हिंदू धर्म में इसके कई संप्रदायों के बीच में एक भव्य डाइवर्ट है। यही कारण है कि विविधता बोर्ड और हिंदू धर्म को शामिल है कैसे दिखा रहा है, एक शक्ति ही है। यह सभी भक्तों बिल्कुल एक जैसे मानते है की तलाश नहीं है। वास्तव में, यह कोई केंद्रीय सत्ता, प्रचार या ऐसी समानता लागू नहीं कर सकता था जो कोई भी संगठित संस्था है। वहाँ एक विशाल आंतरिक एकता है, लेकिन हिंदू धर्म के वास्तविक शक्ति और ज्ञान अपनी विविधता, इसकी विविधता है। आप उन सब का आकलन करने के लिए शुरू कभी नहीं अध्ययन जीवन बिता सकता है कि हिंदू धर्म के भीतर तो कई संप्रदायों के होते हैं। अधिक किसी भी एक इंसान ही जीवन में आत्मसात कर सकता से देखते है। हिंदू धर्म इसलिए जीवन के बाद अपनी विशालता के जीवन में हमें वापस आकर्षित करने के लिए चुंबकत्व है। प्रत्येक संप्रदाय कोई आवश्यक हिस्सा गायब साथ, बेहोश के सभी वेतन वृद्धि के साथ अपने आप में एक पूर्ण धर्म, होने के लिए कहा जा सकता है। इसलिए ,, प्रत्येक संप्रदाय पूरी तरह से इसके भीतर व्यक्तियों के लिए काम करता है, और प्रत्येक अन्य सभी संप्रदायों बर्दाश्त। यह पूरी तरह से, अपने विश्वासों को नकार अन्य संप्रदायों से खुद को तलाक नहीं है बस तनाव को अलग या आदमी की सीमित संकायों द्वारा समझा जा करने के लिए सभी दूसरों से अलग विशाल दर्शन के एक सीमित क्षेत्र व्याख्या खरीदते हैं।

वहाँ हिंदू धर्म के साथ विभिन्न संप्रदायों और डिवीजनों एक स्रोत से सब वसंत। अधिकांश हिंदू दिव्य भगवान के रूप में अच्छी तरह से व्यक्तिगत भगवान या ईश्वर में विश्वास करते हैं, और अभी तक नास्तिक के लिए या आकलन करने और अपने विश्वासों के विकास है, जो नास्तिक के लिए, नास्तिक के लिए विश्वास कमरे की सीमाओं के भीतर नहीं है। इस पाषंड का हमारे धर्म-अनुपस्थिति के लिए एक और अद्वितीय संपत्ति लाता है। कोई भी सही संबंधित या विश्वास नहीं है, हिंदू धर्म में एक विधर्मी के रूप में ऐसी कोई चीज नहीं है। सिद्धांत और साधना निरपेक्षता नहीं माना जाता है, लेकिन एक निरपेक्ष अंत करने के लिए साधन और वे व्यक्तिगत जरूरतों और स्वभाव के अनुरूप किया जा सकता है। मेरे गुरु "विभिन्न नुस्खे विभिन्न बीमारियों के लिए आवश्यक हैं।" लोग कहते हैं कि हिंदू धर्म में मनुष्य और ईश्वर के बीच खड़ा है, जो कोई व्यक्ति या आध्यात्मिक अधिकार नहीं है। वास्तव में, हिंदू धर्म सिर्फ एह विपरीत सिखाता है। मंदिरों में पुजारी देवता, सहायक, भगवान के घर के रखवाले के नौकर हैं। वह तैयार करता है और मंदिर का माहौल है, लेकिन मंदिर को शुद्ध है, लेकिन वह भक्त और उसके परमेश्वर-जो भी हमारे धर्म के भीतर कई देवताओं की पूजा की जा सकती है कि बीच में हस्तक्षेप नहीं करता। एक मध्यस्थ के बिना, जिम्मेदारी व्यक्ति पर पूरी तरह से जगह है।
उसकी ओर से रक्षा करने के लिए एक पर है। उन्होंने कहा कि इस भगवान के साथ अपने रिश्ते के लिए, उसकी भावनाओं के लिए, अपने विचारों के लिए, अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि बाहरी प्रभावों पर अनुचित निर्भरता के बिना अंदर से अपने विश्वासों के बाहर काम करना चाहिए। बेशक, इससे पहले वह कोई माध्यम से जा रहा है के माध्यम से चले गए हैं, जो उन लोगों से की जरूरत हो सकती है के रूप में ज्यादा से ज्यादा मदद, वहाँ है। यह वह एक अधिकृत हठधर्मिता को गोद ले कि पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि अध्ययन के लिए और खुद के भीतर से जीवन के लिए शिक्षण लाना होगा।

दर्शन के भीतर प्रत्येक दार्शनिक योग का आदमी अभ्यास उचित उपदेशों और उनकी कुंडलिनी शक्ति के माध्यम से अपने भीतर विशद जानकारी देता है, तो भगवान आदमी के भीतर पाया जा सकता है कि दावा करता है। सत् गुरु खुद बल की जागृति सिखाता है और भगवान इस बहुत ही जीवनकाल में उनकी दिव्य रूप में अच्छी तरह से एक के अपने व्यक्तिगत अनुभव के क्षेत्र के भीतर उनकी व्यक्तिगत पहलू में महसूस कर सकते हैं कि कैसे वह लेकिन पर्स कि पथ और जिले के मोहताज हैं।

हिंदू धर्म व्यक्ति के विकास के अनुसार, भगवान और आदमी, मन और भगवान, सहज मन, बौद्धिक मन एक परम चैतन्य मन, क्योंकि एक के रूप में विलय कर सकते हैं अद्वितीय है। हर एक को यह स्वयं बनाया कर्म के अनुसार, अपने ही पूर्ति है। छोटी सी बुद्धि या मानसिक कौशल के अधिकारी, जो जिनके हितों और अनुभवों को मूल रूप से सहज हैं विकास के पहले चरण में, उन लोगों को अपनी भावनाओं और आवेगों और आम तौर पर भयभीत द्वारा निर्देशित कर रहे हैं। वे मंदिर में देवता के एक निजी अनुभव है, लेकिन यह आम तौर पर एक भयभीत अनुभव है। वे भगवान से डरते हैं। पूजा इस ग्रह पर जीवन के कई सैकड़ों किया गया है, जो एक महान ऋषि, के दौरान उनमें से साथ-साथ, खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि भगवान के अपने स्वयं के व्यक्तिगत अनुभव है, लेकिन यह एकता की और संघ की, प्रेम का एक अनुभव है। वहाँ वे कंधे से कंधा मिलाकर कर रहे हैं। भगवान के प्रत्येक अनुभव दूसरे के रूप में एक के लिए एक वास्तविक है। बीच में कोई नहीं है, अनुभव का कोई मध्यस्थ अन्य एक करता है बिल्कुल के रूप में भगवान के दर्शन करने के लिए एक मजबूर करने के लिए।

हिंदू धर्म के लोगों में विविध रहे हैं के रूप में मानवता विविध रूप में है, के रूप में के रूप में व्यापक है। यह रहस्यवादी के लिए और भौतिकवादी के लिए, अमीर और गरीब के लिए है। यह ऋषि के लिए और मूर्ख के लिए है। कोई भी बाहर रखा गया है। एक हिंदू मंदिर में आप मानवता के हर किस्म मिल सकता है। संचित धन का आदमी है, मंदिर के चारों ओर बड़े हो गए हैं कि संस्थानों का समर्थन बुद्धिमानी से अपने बहुतायत खर्च करने की मांग की है और अच्छी योग्यता अपने अगले जन्म के लिए अर्जित किया जा सकता है, ताकि इसका सबसे अच्छा उद्देश्य के लिए, वहाँ है। कंगाल शायद वह कल खाएंगे और भगवान ने उसे एक सिक्का या दो देने के लिए कुछ भक्त को प्रेरित करेगा उम्मीद है कि भीख मांगने के लिए, वहाँ है। तो एक हिंदू मंदिर समुदाय के जीवन के बीच में सेट जीवन का एक प्रतिबिंब है। यह कोई एक ही जीवन में सेवा और विकास के अगले चरण के लिए निर्देशित करने के लिए, गांव के जीवन की तुलना में बेहतर करने के प्रयास कर रही है। यह भीतर कर सकते हैं दुनिया के सभी धर्मों का उपभोग कर सकते हैं और यह के भीतर मंदिर की, शक्ति, सत्ता से मंदिर के लिए तैयार कर रहे हैं, जो दुनिया के सभी लोगों का उपभोग करता है, जो एक ही हिंदू मन। इस तरह अभी अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और अपनी परिपूर्णता में कुछ ही वर्षों में उत्तरी अमेरिका के लिए आ रहा है, जो हमारे धर्म के महान गले लगाते दया है।

सनातन धर्म की महानता अन्य धर्मों के साथ तुलना नहीं की जा सकती है। तुलना के लिए कोई आधार नहीं है। सनातन धर्म निश्चित रूप से कोई अंत नहीं होगा वहां के लिए, कोई शुरुआत है। यह कभी नहीं बनाया गया था, और इसलिए यह नष्ट नहीं किया जा सकता है। यह एक भगवान केंद्रित धर्म है। इसके केंद्र परमेश्वर है। अन्य धर्मों के सभी नबी केंद्रित कर रहे हैं। उन धर्मों के केंद्र में एक महान संत या एक महान ऋषि, एक नबी, एक दूत या मसीहा, पृथ्वी पर रहते थे और मर गया है, जो कुछ भगवान की प्राप्ति व्यक्ति है। शायद वह इतिहास में एक निश्चित समय में दुनिया के एक खास हिस्से के लोगों द्वारा की जरूरत है कि विशेष संप्रदाय, कि विशेष रूप से धर्म, बनाने के लिए पैदा हुआ था। हिन्दू इस मानता है और उनकी प्राप्ति के माध्यम से किया है और आवक में खुद को अवतार अभ्यास जो देवताओं, या के रूप में महान एहसास हुआ प्राणियों की, शायद, महान अवतारों के रूप में, महान आत्माओं के रूप में, महान नबियों के रूप में दुनिया के धार्मिक नेताओं के सभी मान्यता देते हैं, या खुद को तब्दील में, प्रख्यात धार्मिक नेताओं और उन्हें आकर्षित भक्तों सब फिर से जीवन के उपदेशों आगे देने के लिए एक प्रकार जीवन का एक बेहतर तरीका में, एक जनजाति है, या एक देश या एक दौड़ मार्गदर्शन।

यह दृढ़ता से भगवान केंद्रित धर्म में बसा है हिन्दू मन, यह इस धरना सराहना कर सकते हैं। हिंदू धर्म के केंद्र निरपेक्ष, के रूप में शुद्ध चेतना को प्रकट करने और सबसे सही रूप बोधगम्य, प्राइमा आत्मा के रूप में जो कालातीत, निराकार, अंतरिक्ष कम परमेश्वर है। उन्होंने कहा कि मंदिरों में निवास और लोगों को आशीर्वाद, शास्त्रों को प्रेरित, सामान्य रूप में आध्यात्मिक नेता एक उत्थान मानवता को प्रेरित करने वाले देवी देवताओं के असंख्य जैसे कि रूप से घूम रही है। यह कई रूपों में से एक भगवान है। हमने हाल ही में न्यूयॉर्क में गणेश मंदिर में एक Sannyasini सुना प्र डब्ल्यू एक सबसे अद्भुत और गहरा में यह वर्णन किया है, "शिव सकती है कि आग की गर्मी है, आग है। गणेश कि आग की लाल रंग है। मुरुगा आग का प्रकाश है। "

 

आज दुनिया में 650,000,000 हिंदू हैं। यह मोटे तौर पर पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका की दोहरी आबादी है। हिंदू धर्म में हर एक की आवश्यकताओं के लिए आती है। यह इस तरह की सांस, ऐसी गहराई है कि दुनिया में केवल धर्म आज है। हिंदू धर्म देवताओं और पवित्र मंदिरों, चेतना योग के भीतर राज्यों के गूढ़ ज्ञान और दवा के विषयों में शामिल है। यह एक सौम्य करुणा और सभी धर्मों के लिए एक वास्तविक सहिष्णुता और प्रशंसा के पास। यह हर आत्मा स्व-बोध या मोक्ष का परम लक्ष्य के लिए कर्म के द्वारा निर्देशित है, जिसमें एक बस दुनिया में विश्वास रखता है। यह आत्मा का परमात्मा मूल के ज्ञान में सामग्री टिकी हुई है, परिपक्वता तक एक ही जीवन है और एक अन्य के माध्यम से इसके पारित होने पर पहुँच गया है। यह सबसे विकसित ऋषि को nonbeliever से, उस में शरण लेते हैं, जो सभी के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह पृथ्वी पर शास्त्र और दर्शन का सबसे बड़ा भंडार है, और सबसे पुराने cherishes। यह पृथ्वी पर बेजोड़ महसूस हुआ कि पुरुषों और महिलाओं के संतों और ऋषियों की एक परंपरा के साथ संपन्न होता है। यह मेरे साहसपूर्वक हिंदू धर्म दुनिया में सबसे बड़ा धर्म है कि घोषित बनाता है, जो इन का योग है, और अधिक है।

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