नवरात्रि कलश स्थापित करने का सही समय एवं नियम
इस साल शारदीय नवरात्रि 13 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक है, तो यदि आप भी इस वर्ष घर में मां दुर्गा के आशीर्वाद से सुख एवं समृद्धि पाना चाहते हैं तो जानिए कैसे करें घर में नवरात्रि कलश की स्थापना एवं साथ ही जानिए पूजन विधि।
आगे कुछ भी बताने से पहले हम आपको इस वर्ष के नवरात्रि के बारे में एक रोचक बात बताना चाहते हैं। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक संयोगवश इस वर्ष दुर्गाअष्टमी और दुर्गानवमी एक ही दिन यानी 21 अक्टूबर को हैं और अगले दिन 22 अक्टूबर को विजयदशमी यानी कि दशहरा है।
ज्योतिषियों के मुताबिक नवरात्रि में इस बार अष्टमी के दिन सूर्य, चंद्र, बुध योग बन रहा है, जो कि कन्या राशि के जातकों के लिए बहुत शुभ है। यह एक ऐसा खास योग है जो कन्या राशि के जातकों को वर्ष भर सफलता दिलवाने में सक्षम सिद्ध होगा। इसके साथ ही इस बार नवरात्रि में दो प्रतिपदा भी हैं।
इतने खास संयोगों के साथ इस बार के शारदीय नवरात्रि बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। तो यदि आप भी अपने घर में इस वर्ष नवरात्रि कलश स्थापित करने का विचार बना रहे हैं तो बता दें कि शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी मंगलवार 13 अक्टूबर को सुबह 11 से 12:30 बजे तक, दोपहर 2 बजे से 3: 30 तक शुभ है।
किसी कारणवश यदि आप सुबह कलश स्थापना करने में असफल हों तो दोपहर को कलश स्थापित कर सकते हैं, लेकिन बता दें कि सुबह का मुहूर्त ही अति शुभ है। कलश की स्थापना करते समय कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें जैसे कि कलश पूजन के समय, पूर्व दिशा की ओर ही मूर्ति रख पूजन विधि संपन्न करें।
मिटटी के घड़े में लाल कपड़ा लपेट कर उस पर पवित्र स्वास्तिक चिन्ह बनाएं। इसके बाद कलश के अंदर सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते रखें। नजदीक एक कटोरी और दोना रख दें। एक नारियल ले लें और उसे लाल कपड़े में लपेट दें तथा उसे अंत में कलश के ऊपर स्थापित कर दें।
कलश स्थापना के दिन ही मां भवानी का ध्वज फहराएं जिसमें हनुमानजी अंकित हों। ध्वज में हनुमानजी का निवास शुभ होता है। जिन घरों में पहले से ज्वारे बोने का विधान हैं वहीं इसे करें। ज्वारे बोने के नियम बहुत कठिन हैं। यदि आप इन्हें पूरी श्रद्धा से कर सकें तभी ज्वारे बोएं अन्यथा नहीं।
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