Friday 9 October 2015

pitambara devi temple datia story in hindi

                                पीताम्बरा पीठ दतिया

 


पीताम्बरा पीठ दतिया ज़िला, मध्य प्रदेश में स्थित है। यह देश के लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्मशान हुआ करता था, लेकिन आज एक विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। स्थानील लोगों की मान्यता है कि मुकदमे आदि के सिलसिले में माँ पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है। पीताम्बरा पीठ के प्रांगण में ही 'माँ धूमावती देवी' का मन्दिर है, जो भारत में भगवती धूमावती का एक मात्र मन्दिर है।


                                      


स्थापना -

मध्य प्रदेश के दतिया शहर में प्रवेश करते ही पीताम्बरा पीठ है। यहाँ पहले कभी श्मशान हुआ करता था, आज विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। पीताम्बरा पीठ की स्थापना एक सिद्ध संत, जिन्हें लोग स्वामीजी महाराज कहकर पुकारते थे, ने 1935 में की थी। श्री स्वामी महाराज ने बचपन से ही सन्न्यास ग्रहण कर लिया था। वे यहाँ एक स्वतंत्र अखण्ड ब्रह्मचारी संत के रूप में निवास करते थे। स्वामीजी प्रकांड विद्वान व प्रसिद्ध लेखक थे। उन्हेंने संस्कृत, हिन्दी में कई किताबें भी लिखी थीं। गोलकवासी स्वामीजी महाराज ने इस स्थान पर 'बगलामुखी देवी' और धूमावती माई की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। यहाँ बना वनखंडेश्वर मन्दिर महाभारत कालीन मन्दिरों में अपना विशेष स्थान रखता है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। इसके अलावा इस मन्दिर परिसर में अन्य बहुत से मन्दिर भी बने हुए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुओं का यहाँ आना-जाना लगा रहता है।


प्रतिमा -

पीताम्बरा देवी की मूर्ति के हाथों में मुदगर, पाश, वज्र एवं शत्रुजिव्हा है। यह शत्रुओं की जीभ को कीलित कर देती हैं। मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्त होती है। शुत्र पूरी तरह पराजित हो जाते हैं। यहाँ के पंडित तो यहाँ तक कहते हैं कि, जो राज्य आतंकवाद व नक्सलवाद से प्रभावित हैं, वह माँ पीताम्बरा की साधना व अनुष्ठान कराएँ, तो उन्हें इस समस्या से निजात मिल सकती है।

धूमावती मन्दिर -

पीताम्बरा पीठ के प्रांगण में ही माँ भगवती धूमावती देवी का देश का एक मात्र मन्दिर है। ऐसा कहा जाता है कि मन्दिर परिसर में माँ धूमावती की स्थापना न करने के लिए अनेक विद्वानों ने स्वामीजी महाराज को मना किया था। तब स्वामी जी ने कहा कि- "माँ का भयंकर रूप तो दुष्टों के लिए है, भक्तों के प्रति ये अति दयालु हैं।" समूचे विश्व में धूमावती माता का यह एक मात्र मन्दिर है। जब माँ पीताम्बरा पीठ में माँ धूमावती की स्थापना हुई थी, उसी दिन स्वामी महाराज ने अपने ब्रह्मलीन होने की तैयारी शुरू कर दी थी। ठीक एक वर्ष बाद माँ धूमावती जयन्ती के दिन स्वामी महाराज ब्रह्मलीन हो गए। माँ धूमावती की आरती सुबह-शाम होती है, लेकिन भक्तों के लिए धूमावती का मन्दिर शनिवार को सुबह-शाम 2 घंटे के लिए खुलता है। माँ धूमावती को नमकीन पकवान, जैसे- मंगोडे, कचौड़ी व समोसे आदि का भोग लगाया जाता है।

ऐतिहासिक सत्य -

माँ पीताम्बरा बगलामुखी का स्वरूप रक्षात्मक है। पीताम्बरा पीठ मन्दिर के साथ एक ऐतिहासिक सत्य भी जुड़ा हुआ है। सन् 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। भारत के मित्र देशों रूस तथा मिस्र ने भी सहयोग देने से मना कर दिया था। तभी किसी योगी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से स्वामी महाराज से मिलने को कहा। उस समय नेहरू दतिया आए और स्वामीजी से मिले। स्वामी महाराज ने राष्ट्रहित में एक यज्ञ करने की बात कही। यज्ञ में सिद्ध पंडितों, तांत्रिकों व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यज्ञ का यजमान बनाकर यज्ञ प्रारंभ किया गया। यज्ञ के नौंवे दिन जब यज्ञ का समापन होने वाला था तथा पूर्णाहुति डाली जा रही थी, उसी समय 'संयुक्त राष्ट्र संघ' का नेहरू जी को संदेश मिला कि चीन ने आक्रमण रोक दिया है। मन्दिर प्रांगण में वह यज्ञशाला आज भी बनी हुई है।

                 

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8 comments:

Unknown said...

JAI MAA BAGLAMUKHI

Unknown said...

really nice :)

Unknown said...

Jai Maa Pitambara 🙏🙏🕉🕉

Unknown said...

Jai Maa Pitambara🙏🕉

Unknown said...

Jai ho ma pitambara ki

Unknown said...

जय हो माँ पीताम्बरा देवी जी की और धूमावती जी की. आपकी कृपया आपके सब ही भक्तों पर सदा बनी रहे. अगर आपने चाहा तो अवश्य ही मै आपके दर्शन करने को पहुँच पाऊँगा. कृपया मेरी अभिलाषा पूरी करें. सादर

Unknown said...

जय हो माँ पीतांबरा माई की आपकी कृपा सदा के लिए साथ रहे,,,,जय हो श्री स्वामीजी महाराज जी की,,

Unknown said...

जय हो माँ धूमावती माई की आपका आशीर्वाद मिलता रहे,,