Friday 16 October 2015

सिक्स्थ सेंस को जगाकर आप भी महसूस कर सकते हैं भटकती आत्माओं को




ऐसे कई लोग होते हैं, जिन्हें अपने जीवन में एडवेंचर का बहुत शौक होता है। ये एडवेंचर किसी भी रूप में हो सकता है, घूमने-फिरने से लेकर कोई खतरा मोल लेने तक या फिर कोई कसर रह गई हो तो ये लोग ऐसे स्थानों में जाना पसंद करते हैं जो हॉंटेड होते हैं। आपने कई बार ऐसे लोगों के बारे में सुना होगा, जिन्हें आत्माओं से बात करने का शौक होता है, पारलौकिक शक्तियों का अनुभव करने के लिए वे लोग कुछ भी कर सकते हैं।

ऐसे हालातों में हैरानी तो तब होती है जब इनके भीतर की जिज्ञासा और रोमांच इन्हें आखिरकार आत्माओं से मिलवा ही देती है। वे जिस स्थान पर होते हैं उन्हें आत्माएं नजर आ ही जाती हैं, उनकी खींची हुई तस्वीरों में कुछ अजीब सा दिखता है।

ऐसे भी कई लोग होते हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे ऊपरी ताकतों की गिरफ्त में हैं, उनका बिहैवियर और हरकतें इतनी हिंसक हो जाती है कि वे किसी के लिए खतरा बन सकते हैं। इसके अलावा भूत-प्रेत की चपेट में आ जाने के बाद इंसान एक और तरीके से प्रभावित हो सकता है। अगर वह आत्मा उसके शरीर में वास नहीं कर रही तो वह उसके साथ रहती है, जिसकी वजह से उसका विवाहित और व्यवसायिक जीवन, दोनों ही बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं।


 ऐसे हालातों में पैरानॉर्मल विशेषज्ञ या पारलौकिक शक्तियों को समझने वाले लोगों की सहायता ली जाती है, जो बहुत हद तक ऐसे हालातों से मुक्ति दिलवा सकते हैं। वे आत्माओं को देख सकते हैं, उनसे बात कर सकते हैं, उनकी समस्या को समझकर उन्हें शांत कर सकते हैं। कभी आपने सोचा है कि कुछ ही लोग क्यों आत्माओं से वार्तालाप कर पाते हैं? ऐसे कुछ ही लोग क्यों होते हैं जो पारलौकिक ताकतों को ना सिर्फ महसूस कर सकते हैं बल्कि उन्हें देख भी सकते हैं?

यह कोई वरदान या श्राप नहीं है, ये सिर्फ और सिर्फ सिक्स्थ सेंस का कमाल है। पैरानॉर्मल एक्टिविस्ट की छठी इंद्रिय इस हद तक सक्रिय होती है कि वे उस चीज का भी गहन अध्ययन कर सकते हैं जो सामान्य व्यक्ति को दिखाई तक नहीं देती।
सिक्स्थ सेंस के विकसित होने के कई स्तर हैं। विभिन्न स्तरों पर विभिन्न प्रकार के अनुभवों से गुजरना पड़ता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो स्तर।

जब कोई व्यक्ति अपनी सिक्स्थ सेंस को विकसित करने के कोशिश करता है या विकसित करने के पहले स्तर पर होता है तो वह अपने आसपास अजीबोगरीब चीजों को महसूस कर सकता है। वह मामूली से मामूली चीज को भी नोटिस करने लग जाता है। घर की दीवार पर हल्का सा खरोंच का निशान, विवाह में तनाव, आदि सब देखकर वह ये बात समझ जाता है कि घर के भीतर कुछ तो गड़बड़ है। जो लोग घोस्ट की तस्वीरें खींच पाते हैं, उन्हें देख पाते हैं वे इसी लेवल में शामिल हैं।

वे लोग जो प्रथम स्तर पार कर दूसरे स्तर पर बढ़ने लगते हैं उन्हें महसूस तो वही सब होता है लेकिन अब उन्हें अपने सामने या आसपास मौजूद पारलौकिक आत्माओं की शक्ल-सूरत, उनका आकार स्पष्ट नजर आने लगता है।

सिक्स्थ सेंस के इस स्तर पर आकर व्यक्ति पारलौकिक ताकतों की भावनाओं को भांपने लगता है। वह उनकी संवेदनाओं और उद्देश्यों को गहनता से समझने लगता है। संबंधित आत्मा नुकसान पहुंचा सकती है या नहीं, कितनी खतरनाक साबित हो सकती है, आदि जैसे सवालों के जवाब तक वह पहुंच सकता है।



इस स्तर पर पहुंचने का अर्थ है कि व्यक्ति अपनी छठी इंद्रिय के मामले में पहले स्तर से करीब 10 लाख गुणा ऊपर उठ चुका है। यह वो समय है जब आत्मा, प्रेत या पिशाच, अगला वार किस पर और किस तरह करेगा, यह भी भांपा जा सकता है।
यह स्तर ऐसा होता है जहां पहुंचने वाला व्यक्ति इस बात का जवाब खोज सकता है कि आत्मा किसकी है और किस उद्देश्य से साथ भटक रही है। सिक्स्थ सेंस का यह लेवल व्यक्ति को उस आत्मा के बेहद नजदीक ले जाता है, यह भी समझा जा सकता है कि भटकती हुई रूह या पिशाच किन हालातों में इस योनि को प्राप्त हुआ। यह स्तर प्रथम स्तर की तुलना में अत्याधिक शक्तियां प्रदान करता है।

भूत-प्रेत या पिशाच पर या तो स्वयं भगवान नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं या फिर छठे स्तर पर पहुंच चुका व्यक्ति। इस स्तर पर मौजूद व्यक्ति किसी अन्य रूह की सहायता से उस खतरनाक रूह से मुक्ति पाने का रास्ता खोज पाता है। वह पिशाच या प्रेत किसके इशारों पर कार्य कर रहा है, उसे किसी अन्य शक्ति का भी समर्थन है या नहीं, यह सब भी पता लगाया जा सकता है।


सिक्स्थ सेंस, ईश्वरीय देन है। कहा जाता है ईश्वर ने सभी मनुष्यों को कम या ज्यादा मात्रा में सिक्स्थ सेंस दी है। जिनके पास सिक्स्थ सेंस सामान्य होती है उन्हें कुछ ऐसे ‘आभास’ होते हैं जो उन्हें आगे बढ़ने से रोक देते हैं। लेकिन जिनके भीतर सिक्स्थ सेंस गजब की होती है, उन्हें इसका प्रचुर मात्रा में समर्थन मिलता है। वे कुछ भी देख या सुन सकते हैं, कुछ भी भांप सकते हैं और किसी भी हद तक पहुंच चुके खतरे से छुटकारा पाने का तरीका भी खोज लेते हैं।


                                                                www.sanatanpath.com

                                                                         facebook

                                                                         Twitter

No comments: