Sunday 4 October 2015

श्रीलंका के ये स्थल बयां करते हैं श्रीराम की सच्चाई

क्या आज का श्रीलंका कल की सोने की लंका है जिस पर असुर सम्राट रावण शासन करता था?




क्या वाकई भगवान राम, विष्णु के पहले मानवरूपी अवतार थे? क्या राम और रावण के बीच हुआ युद्ध एक हकीकत है या फिर कोरी कल्पना? क्या आज का श्रीलंका कल की सोने की लंका है जिस पर असुर सम्राट रावण शासन करता था? रामसेतु वाकई भगवान राम की वानर सेना द्वारा बनाया गया था? भगवान राम के धरती पर जन्म लेने से जुड़े कई ऐसे ही सवाल हैं जो हमेशा एक विवाद का विषय बने रहे हैं। कोई भगवान राम के अस्तित्व पर विश्वास करता है तो कोई इसे कल्पना मात्र कहता है।



लेकिन आज जो तथ्य हम आपको बताने जा रहे हैं वह आपको इस दुविधा से बाहर निकाल सकता है कि इस धरती पर श्रीराम का जन्म लेना सच है 


आपको जानकर अचरज भी हो सकता है और रोमांच भी कि श्रीलंका, जो कभी रावण की लंका हुआ करती थी, में कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो चाहे-ना चाहे इस बात पर विश्वास करने के लिए मजबूर कर देते हैं कि धरती पर भगवान राम ने जन्म लिया था और लंका पर असुरों के राजा रावण का शासन था। चलिए बताते हैं क्या हैं वो तथ्य।

श्रीलंका टूरिज्म डेवलपमेंट अथॉरिटी की सहायता से ‘ट्रेल्स ऑफ राम’ नाम के एक टूर का आयोजन किया जाता है, जो करीब 3 सप्ताह लंबा होता है। इस टूर के दौरान आप उन स्थलों को देख सकते हैं जिनका सीधा संबंध भगवान राम और रावण से रहा है।


                                                                lankapuri
यह स्थान कभी रावण के राज्य की राजधानी हुआ करता था। इस जगह को रावण कोट्टे अर्थात हवाई यान के उतरने का स्थान भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि सीता हरण के पश्चात रावण का पुष्पक विमान यहीं उतरा था।


सीता को हर कर रावण जिस मार्ग से होकर आया था उस मार्ग को चैरियट पाथ यानि रथ का रास्ता कहा जाता है। यह स्थान पुस्साल्लवा में हरियाली भरे पहाड़ों से घिरा बेहद खूबसूरत स्थान है। इस स्थान को अशोक वाटिका कहा जाता है।

                                                                    sita tier              

अशोक वाटिका पहुंचने के रास्ते में ही सीता टीयर पॉंड भी है। माना जाता है कि ये पॉंड या जलाशय सीता के आंसुओं से भर गया था।


श्रीलंका का ही एक गांव कोंडाकलाई इसलिए इस टूर का हिस्सा है क्योंकि यह वो स्थान है जहां तेज गति से भागते हुए रथ की वजह से सीता के बाल उलझ गए थे। सिंहली भाषा में सीता कोटुवे का अर्थ है सीता का किला। कहा जाता है इस किले के भीतर ही सीता को बंदी बनाकर रखा गया था।


इस स्थान पर बहुत पतली एक जलधारा बहती है। मान्यता के अनुसार जब सीता रावण की कैद में थीं तब वह इसी जलधारा में नहाती थीं। एक शताब्दी पहले इस स्थान से तीन मूर्तियां भी प्राप्त हुई थीं जिनके विषय में कहा जाता था कि ये सीता की हैं। इस स्थान पर विभिन्न आकार के पद चिन्ह भी हैं जिन्हें राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के पद चिन्ह कहा जाता है।


स्थानीय भाषा में स्त्रीपुरा का अर्थ है महिलाओं का स्थान। इस स्थान के विषय में कहा जाता है कि जब हनुमान जी ने लंका में प्रवेश कर लिया था, तब रावण ने सीता को अशोक वाटिका से स्त्रीपुरा में स्थानांतरित कर दिया था। इस स्थान में अनेक गुफाएं और सुरंगें मौजूद हैं


रामायण के अनुसार राम की वानर सेना द्वारा भारत के दक्षिणी भाग को लंका से जोड़ने के लिए रामसेतु का निर्माण किया गया था। यूं तो अब यह पुल खंडित हो चुका है लेकिन इसके कुछ अंश आज भी थेलिमन्नार से धनुषकोटि के बीच दिखाई देते हैं।

यह एक पहाड़ी स्थान है जिसके विषय में माना जाता है इसी स्थान पर सबसे पहले रावण की सेना ने राम की वानर सेना को आते देखा था। यह भी माना जाता है कि इसी समतल घाटी पर राम ने रावण का वध किया था।





रावण के सैनिकों ने हनुमान को इसी स्थान से बंदी बनाकर रावण के दरबार में पेश किया था, जिसके पश्चात हनुमान ने अपनी पूंछ में लगी आग से सोने की लंका को जालाया था। इस स्थान पर रावण का हवाईअड्डा भी
था, जिसे हनुमान ने जला दिया था।




लक्ष्मण, बाण लगने की वजह से इसी स्थान पर अचेत हो गए थे। तब उनके प्राण बचाने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए थे। संजीवनी बूटी की पहचान ना कर पाने की वजह से हनुमान जी पूरा पर्वत उठा लाए था। माना जाता है कि पर्वत के पांच हिस्से श्रीलंका के अलग-अलग पांच स्थानों पर गिरे थे।

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यह स्थान भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। इन्द्र ने भगवान कार्तिकेय को प्रभु राम को रावण से बचाने के लिए युद्धभूमि जाने का अनुरोध किया था।

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रावण के वध के पश्चात अपनी पवित्रता प्रमाणित करने के लिए सीता ने इसी स्थान पर अग्नि परीक्षा दी थी। इस स्थान पर एक बौद्ध मंदिर है जहां पेंटिंग्स के द्वारा रामकथा को दर्शाया गया है। इसमें सीता हरण, अग्निपरीक्षा जैसे दृश्य शामिल हैं।

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यहंगला वह स्थान है जहं वध के पश्चात रावण के शव को सम्मानपूर्वक रखा गया था। वहीं केलानिया उस जगह का नाम है जहां विभीषण को लंका के राजा का ताज पहनाया गया था।

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श्रीलंका में जगह-जगह पर राम और रावण से जुड़ी कहानी के साक्ष्य बिखरे पड़े हैं। उन्हें देखने के बाद कोई नहीं कह सकता कि राम एक काल्पनिक चरित्र हैं।

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