सियासत धर्म की आड़ में लोगों को तोड़ती है तो आस्था समाजों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाती है, ऐसा ही कुछ हुआ है मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में, जहां एक मुस्लिम महिला में देवी के प्रति जागी आस्था ने मजहबी एकता की मिसाल पेश की है। मंदसौर के श्यामगढ़ के माता मंदिर की पहचान हिंदुओं के मंदिर के तौर पर नहीं है। यहां आने वाला भक्त किसी धर्म का नहीं, बल्कि माता का भक्त होता है। इस मंदिर की खोज भी एक मुस्लिम महिला सुगना बी ने की है और उसी ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है। इतना ही नहीं, वही मंदिर में नियमित तौर पर आरती भी करती है।
सुगना बी ने बताया कि उसे एक दिन सपना आया कि उसके घर के आसपास मंदिर है, उसने उसे महज सपना मानकर महत्व नहीं दिया। उसके कुछ दिन बाद फिर उसे ऐसे लगा, जैसे कोई देवी उससे मंदिर होने की बात कह रही हों। वह बताती है कि उसने अन्य महिलाओं के साथ एक स्थान पर जाकर देखा तो वहां देवी की प्रतिमा दिखी। उसके बाद उसने लोगो से चंदा इकट्ठा कर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। वह मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करती है। वह हर रोज काम पर जाने से पहले और लौटकर मंदिर जाना नहीं भूलती।
चैत्र नवरात्र में यह मंदिर माता की भक्ति के रंग में रंगा हुआ है, यहां पहुंचने वाले श्रद्घालुओं को कहना है कि धर्म कोई भी हो, वह सभी को मिलजुलकर रहने का संदेश देता है, माता के मंदिर के जीर्णोद्धार में सुगना बी ने अहम भूमिका निभाकर साबित कर दिया है कि आस्था किसी की किसी भी धर्म के प्रति हो सकती है।
एक तरफ जहां एक मुस्लिम महिला ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है, वहीं आम लोगों के सहयोग से मंदिर के बाहर गरबा का भी आयोजन किया गया है। इसमें सभी धर्मो के लोग हिस्सा ले रहे हैं। यह मंदिर और गरबा का आयोजन कौमी एकता की मिसाल बन गया है।
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