Saturday, 19 September 2015

Why these stolen precious diamonds from India are so unlucky in hindi

                 विनाशकारी क्यों साबित होते रहे हैं ये बेशकीमती रत्न-



कभी आपने सोचा है कि जो गहने किसी की खूबसूरती को उभारने के लिए धारण किए जाते हैं, वही गहने उसके लिए अभिशाप भी बन सकते हैं? केवल एक हार किसी की जान ले सकता है यह बेहद अचंभित करने वाली बात है। लेकिन यह महज मनगढ़ंत कहानियां नहीं हैं, वरन् सच्चाइयां है।

दुनिया भर में ऐसे कई गहने एवं रत्न हैं, जो मनुष्य के लिए श्राप के समान हैं। इन सभी रत्नों में से एक है ‘भगवान ब्रह्मा की आंख’ कहलाने वाला ब्लैक ओर्लोव डायमंड। कहते हैं ये हीरा पुडुचेरी के एक मंदिर से चोरी हुआ था, जहां इसे ब्रह्मा जी की मूर्ति से निकाला गया।

 इसे ब्रह्मा की तीसरी आंख के रूप में मूर्ति में लगाया गया था। यही कारण है कि इसे ब्रह्मा की आंख कहा जाता है। मंदिर से हीरे को चुराने के बाद चोरों ने इसे किसी तरह से यूरोप पहुंचा दिया और इसे कई लोगों ने अपने पास रखा, लेकिन जिसके पास भी यह हीरा गया वह उसे लंबे समय तक नहीं रख सका।


क्योंकि इस हीरे को जो भी अपने पास रखता, उसकी अकाल मौत हो जाती थी। जहां तक तथ्यों की बात है, इस हीरे को अपने पास सबसे पहले 1932 में जे डब्ल्यू पेरिस ने किसी अमेरिकी व्यक्ति से खरीदा था। उसने इस हीरे को अपने पास काफी समय तक रखा लेकिन एक दिन खबर आई कि उसने न्यूयॉर्क की एक बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या कर ली।


इसके बाद रूस की राजकुमारियों लिओनिला गैलिस्टाइन और नादिया वाइजिन ओर्लो ने भी इसे खरीदा था। और उन दोनों ने भी वर्ष 1940 में एक ऊंची बिल्डिंग से कूदकर जान दे दी। दोनों राजकुमारियों का हीरे से संबंध होने के कारण ही इसका नाम ब्लैक ओर्लोव पड़ा।

इसके बाद इसे चार्ल्स एफ. विंसन ने खरीदा और इस हीरे का खौफनाक असर कम करने के लिए इसे तीन हिस्सों में कटवाकर तरशवाया। इसके बाद उन्होंने इसे 108 हीरों के गुच्छों के साथ हार में जड़वा दिया। बाद में इसे 2004 में अमेरिका से पेंसिलवेनिया के हीरा व्यापारी डेनिस पेट्मिजास ने खरीद लिया।

उसने इस हीरे को कई प्रदर्शनियों का हिस्सा भी बनाया। कहते हैं आज भी यह हीरा बेहद भयानक असर देता है इसलिए कोई भी इसे बिना दस्ताने पहने हाथ नहीं लगाता।

सभी जानते हैं कि कोहिनूर हीरा एक समय पर भारत की शान हुआ करता था जिसे अंग्रेज भारत से दूर लंदन ले गए थे। लेकिन इसके पीछे की कहानी बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल कोहिनूर अपनी सुंदरता के साथ-साथ व्यक्ति का बुरा नसीब एवं मौत भी लेकर आता है।


यह हीरा उसे धारण करने वाले को धीरे-धीरे बर्बाद करके मौत के अंधेरे तक ले जाता है। वर्तमान आंध्र-प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित एक खदान में से यह बेशकीमती हीरा खोजा गया था। लेकिन बाबरनामा में उल्लेखित वर्णन के मुताबिक यह हीरा सबसे पहले सन 1294 में ग्वालियर के एक अनाम राजा के पास देखा गया था।
कहा जाता है कि यह हीरा जिस भी पुरुष राजा के पास रहता, उसके लिए श्राप बन जाता। एक-एक करके इस हीरे ने अनेकों राजा-महाराजाओं के शासन को बर्बाद किया। आखिरी बार यह हीरा पंजाब के राजा रणजीत सिंह के पास पाया गया था।


इसे धारण करने के कुछ ही समय बाद राजा की मृत्यु हो गई। इसका असर इतना गहरा था कि राजा की मृत्यु के बाद उसके पुत्र गद्दी पर बैठ ना सके। बाद में यह हीरा अंग्रेजों के हाथ लग गया। तब तक अंग्रेज समझ चुके थे कि यदि यह हीरा किसी पुरुष द्वारा धारण किया जाए तो श्रापित साबित होता है।
इसीलिए 1936 में इस हीरे को किंग जॉर्ज षष्टम की पत्नी क्वीन एलिजाबेथ के क्राउन में जड़वा दिया गया और तब से लेकर अब तक यह हीरा ब्रिटिश राजघराने की महिलाओं के ही सिर की शोभा बढ़ा रहा है। यही कारण है कि आज यह भारतीय हीरा अपने देश से मीलों दूर विदेशी देश की शान बढ़ा रहा है।


द दिल्ली पर्पल सैफायर नाम से मशहूर यह हीरा आज से वर्षों पहले 1857 के विद्रोह के समय इंद्र के एक मंदिर से चुराया गया था। हीरा मंदिर से चुरा तो लिया गया लेकिन भगवान इंद्र का प्रकोप इस हीरे पर है, यह कोई नहीं जानता था।


कहते हैं यह हीरा एक घुड़सवार कर्नल डब्ल्यू फेरिस द्वारा लंदन ले जाया गया था। यह हीरा उसे कैसे मिला यह कोई नहीं जानता। इसके बाद यह हीरा एडवर्ड नामक एक लेखक के पास पहुंच गया। कहते हैं कि कुछ ही समय में हीरे ने एडवर्ड की ज़िंदगी पर असर दिखाया और वह दिवालिया हो गया।


बाद में एडवर्ड ने इस हीरे को सात तरह के डिब्बों में विभिन्न चीजों से घेर कर हमेशा के लिए बंद कर दिया और उस पर लिख दिया ‘जो भी इस हीरे को खोलेगा, वह इसे खोलने से पहले यह चेतावनी जरूर पढ़ ले। मेरी इस डिब्बे को खोलने वाले को एक ही सलाह है कि कृपया हीरे को बाहर निकालने के बाद समुद्र में फेंक दे’।
आज के समय में यह हीरा लंदन के ‘नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम’ में प्रदर्शित किया गया है।


श्रापित हीरों की कतार में होप डायमंड का नाम भी काफी मशहूर है। होप डायमंड नाम का यह खूबसूरत हीरा 45 कैरेट का है और अपने आप में अदभुत है।


कहते हैं यह हीरा आंध्र प्रदेश के ही गोलकुंडा खानों में पाया गया था। यह हीरा श्रीराम की पत्नी मां सीता की मूर्ति की आंख से चुराया गया था। कहते हैं कि इस हीरे को भी एक श्राप ने घेर रखा है।
यह हीरा जिस भी राजा के पास गया, इसने उसे बर्बाद कर के रख दिया। इस हीरे को धारण करने वाला शख्स दुर्घटना का शिकार हो जाता है। फिलहाल यह हीरा स्मिथसोनियन संग्रहालय में है।



जब श्रापित गहनों एवं रत्नों की बात हो तो इस लिस्ट में सिल्वर इयरिंग्स का जिक्र होना जरूरी है। यह ऐसे इयरिंग्स (बालियां) हैं जिनका असर कितना तेज़ हो सकता है, आप सोच भी नहीं सकते।


 एक प्राचीन मान्यता के मुताबिक जो कोई भी सिल्वर इयरिंग्स को पहनता है उसके आसपास कोई भूतिया शक्ति या फिर प्रेत आत्मा का साया तक नहीं भटकता। यह बालियां किसी भी तरह की बुरी आत्माओं को उस व्यक्ति से दूर रखती हैं जो उसे धारण करता है।

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