पाकिस्तान मे बचे हुए प्राचीन हिंदू मंदिरो पर Sanatanpath Team की एक विशेष खबर!
पाकिस्तान में कई हिन्दुओं के प्राचीन मंदिर स्थित हैं जिनमे से कईयों का पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व भी है। लेकिन बड़े अफसोस की बात है की यह सभी मंदिर पाकिस्तान सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
1. कटास राज मंदिर, चकवाल
पाकिस्तान में सबसे बड़ा मंदिर शिवजी का कटासराज मंदिर है, जो लाहौर से 270 किमी की दूरी पर चकवाल जिले में स्थित है। इस मंदिर के पास एक सरोवर है। कहा जाता है कि मां पार्वती के वियोग में जब शिवजी के आंखों से आंसू निकले तो उनके आंसुओं की दो बूंदे धरती पर गिरीं और आंसुओं की यही बूंदे एक विशाल कुंड में परिवर्तित हो गईं। इस कुंड के बारे में मान्यता है कि इसमें स्नान करने से मानसिक शांति मिलती है और दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही यहां एक गुफा भी है। इसके बारे में कहा जाता है कि सरोवर के किनारे पांडव अपने वनवास के दौरान आए थे।
2. हिंगलाज माता मंदिर, ब्लूचिस्तान
पाकिस्तान में दूसरा विशाल मंदिर हिंगलाज देवी का है। इस मंदिर की गिनती देवी के प्रमुख 51 शक्ति पीठो में होती है। कहा जाता है कि इस जगह पर आदिशक्ति का सिर गिरा था। यह मंदिर बलूचिस्तान के ल्यारी जिला के हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह जगह इतनी खूबसूरत है कि यहां आने वाले व्यक्ति का मन वापस लौटने का नहीं होता। कहते हैं कि सती की मृत्यु से नाराज भगवान शिव ने यहीं तांडव खत्म किया था। एक मान्यता यह भी है कि रावण को मारने के बाद राम ने यहां तपस्या की थी।
भारत-पाक बंटवारे से पहले यहां लाखों की तादात में श्रद्धालु आया करते थे, लेकिन अब बिगड़ते हालात के चलते श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम हो चुकी है। हालांकि स्थानीय लोगों के लिए इस मंदिर का काफी महत्व है। बताया जाता है कि इस मंदिर के दर्शन करने गुरु गोविंद सिंह भी आए थे। यह मंदिर विशाल पहाड़ के नीचे स्थित और यहां शिवजी का एक प्राचीन त्रिशूल भी है।
3. गौरी मंदिर, थारपारकर
पाकिस्तान में स्थित तीसरा विशाल मंदिर है गौरी मंदिर। यह सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में स्थित है। पाकिस्तान के इस जिले में हिंदु बहुसंख्यक हैं और इनमें अधिकतर आदिवासी हैं। पाकिस्तान में इन्हें थारी हिंदु कहा जाता है।
गौरी मंदिर मुख्य रूप से जैन मंदिर है, लेकिन इसमें अनेकों देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। इस मंदिर की स्थापत्य शैली भी राजस्थान और गुजरात की सीमा पर बसे माउंट आबू में स्थित मंदिर जैसी ही है। इस मंदिर का निर्माण मध्ययुग में हुआ।
पाकिस्तान के बिगड़ते हालात और कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव के कारण यह मंदिर भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है।
4. मरी इंडस, पंजाब
कालाबाग (पंजाब) में स्थित इस मंदिर का निर्माण पांचवीं सदी में हुआ। दरअसल मरी नामक यह जगह उस समय गांधार प्रदेश का हिस्सा थी। चीनी यात्री हेनसांग ने भी अपनी पुस्तक में मरी का उल्लेख किया है। हालांकि अब यह प्राचीन मंदिर धीरे-धीरे अपनी चमक खोता जा रहा है। यह मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से अद्भूत है, लेकिन उपेक्षा के कारण खंडहर हो चुका है।
5. शिव मंदिर, पीओके
यह मंदिर पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित है। यह मंदिर कब अस्तित्व में आया, इसका इतिहास उपलब्ध नहीं। भारत-पाक बंटवारे के कुछ सालों तक यह मंदिर अच्छी अवस्था में था, लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के बढ़ते प्रभाव के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं का आवागमन कम हो गया और अब यह मंदिर भी खंडहर में परिवर्तित होने की कगार पर है।
6. गोरखनाथ मंदिर, पेशावर
पाकिस्तान के पेशावर में मौजूद ये ऐतिहासिक मंदिर 160 साल पुराना है। ये बंटवारे के बाद से ही बंद पड़ा था और यहां रोजाना का पूजा-पाठ भी बंद पड़ा था। पेशावार हाई कोर्ट के आदेश पर छह दशकों बाद नवंबर 2011 में दोबारा खोला गया। इस मंदिर खोलने के लिए पुजारी की बेटी फूलवती ने याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने इसे खोलने का आदेश दिया था।
7. श्रीवरुण देव मंदिर, मनोरा कैंट, कराची
1000 साल पुराना यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए मशहूर है। 1947 में बंटवारे के बाद इस मंदिर पर भूमाफिया ने कब्जा कर लिया था। 2007 में पाकिस्तान हिंदू काउंसिल ने इस बंद पड़े और क्षतिग्रस्त मंदिर को फिर से तैयार करने का फैसला किया। जून 2007 में इसका नियंत्रण पीएचसी को मिल गया।
8. स्वामी नारायण मंदिर, कराची
कराची में मौजूद स्वामी नारायण मंजिद 32, 306 स्क्वॉयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह एमए जिन्ना रोड पर स्थित है। अप्रैल 2004 में मंदिर ने अपनी 150वीं सालगिरह मनाई। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम भी पहुंचते हैं। मंदिर में बनी धर्मशाला में लोगों के ठहरने की भी व्यवस्था है।
9. पंचमुखी हनुमान मंदिर, कराची
1500 साल पुराना हनुमान के पांच सिर वाली मूर्ति वाला मंदिर भी कराची के शॉल्जर बाजार में बना है। इस मंदिर में आर्किटेक्चर में जोधपुर की नक्काशी की झलक दिखाई देती हैं। हालांकि, इस मंदिर को जीर्णोद्धार की सख्त जरूरत है, जिसे लेकर अब सहमति बन गई है।
10. साधु बेला मंदिर, सुक्कुर
सिंध प्रांत के सुक्कुर में बाबा बनखंडी महाराज 1823 में आए थे। उन्होंने मेनाक परभात को एक मंदिर के लिए चुना। आठवें गद्दीनशीं बाबा बनखंडी महाराज की मृत्यु के बाद संत हरनाम दास ने इस मंदिर का निर्माण 1889 में कराया। यहां महिलाओं और पुरुषों के लिए पूजा करने की अलग-अलग व्यवस्था है। यहां होने वाला भंडारा पूरे पाकिस्तान में मशहूर है।
पाकिस्तान में हिन्दुओं के प्राचीन मंदिर हैं जिनमे से कईयों का पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व भी है। लेकिन बड़े अफसोस की बात है की यह सभी मंदिर पाकिस्तान सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
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