Tuesday 29 September 2015

Sapphire can be tested without waste to wear in hindi

    बिना परखे नीलम पहनने से हो सकते हैं बर्बाद

 

शनिदेव का डर जगत विख्यात है। शनि की वक्री दृष्टि से अच्छे-भले लोग बर्बाद होते देखे जाते हैं। शनि की उलटी चाल राज को रंक बना देती है। कुण्डली में शनि की अशुभ स्थिति उसकी दशा-अंतर्दशा में बुरे परिणाम देती है तथा साढ़े साती अथवा ढैया की स्थिति तो बेहद खतरनाक साबित होती ही है।


किंतु कई बार ये डर निराधार साबित होता है क्योंकि शनि वस्तुतः न्याय और धर्म के देवता हैं। वे केवल दुष्टों को दण्ड देते हैं। आपने अगर अपने आचार-विचार और कर्म साफ-सुथरे रखे हैं तो शनि आपको दण्ड की बजाय पुरस्कार देते हैं। पापियों, कामियों, व्यभिचारियों, भ्रष्ट आचार में संलग्न व्यक्तियों के लिए शनि महाकाल बन जाते हैं। अपनी दशा-अंतर्दशा तथा साढ़े साती अथवा ढैया की स्थिति में ही शनि न्याय करते नज़र आते हैं।

किंतु यदि कुण्डली में शनि शुभ भाव में विराजमान हों या फिर वृष व तुला का जातक हो तब शनि कारक ग्रह बन कर अपनी दशा में बुरे की बजाय सामान्य अथवा अच्छा फल देते हैं। कई बार वृष व तुला लग्न के जातक की कुण्डली में शनि अस्त, वक्री, नीच, कम अंश आदि के होने के कारण शुभ फल देने में सक्षम नहीं होते इसलिए ऐसी अवस्था में शनि को मजबूत करने के लिए नीलम रत्न धारण करना श्रेयस्कर होता है। तीन से छः रत्ती का नीलम स्वर्ण या फिर पंच धातु में जड़वाकर शनिवार के दिन दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण किया जाए तो शुभ किंतु बलहीन शनि भी चमत्कार दिखाने में सक्षम हो जाते हैं।


नीलम को नीलमणि या अंग्रेजी में सैफायर नाम से भी जाना जाता है। इसकी गुणवत्ता निःसंदेह है किंतु तब जबकि इसमें किसी प्रकार का कोई दोष न हो। चीरा लगा, धारीदार, सफेदी लिए हुए अथवा किसी भी प्रकार छिद्रित या फिर खण्डित नीलम धारण करने से बीमारी, हानि, शत्रु द्वारा घेर लिया जाना, अपमान आदि का शिकार होना पड़ता है।


इसके अलावा कामी अथवा आलसी व्यक्ति को नीलम बिल्कुल नहीं धारण करना चाहिए। क्योंकि ऐसी अवस्था में शनिदेव उस व्यक्ति के और खिलाफ़ हो जाते हैं तथा उसे सज़ा दे डालते हैं।


कमजोर शनि की शुभ भाव स्थिति में नीलम उसके बल को कई गुणा बढ़ाने की सामर्थ्य रखता है। उसी प्रकार अशुभ भाव स्थित या अशुभ भावों का स्वामी होकर शनि यदि कुण्डली में कहीं मौज़ूद हो तो नीलम धारण करने से उसकी अशुभता तथा मारकता बेहद बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में किसी योग्य एस्ट्रोलॉजर से परामर्श अवश्य लेना चाहिए ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके!


                                                                      sanatan path
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