कलियुग के पहले दिन हुई थी इस मंदिर की स्थापना
केरल की राजधानी तिरूअनंतपुरम में स्थित
पद्मनाभ स्वामी मंदिर के पास अकूत संपत्ति है। माना जाता है कि इस मंदिर के
पास 2 लाख करोड़ रुपए की दौलत है। 2011 में कैग की निगरानी में
पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला जा
चुका है। अभी मंदिर का एक तहखाना खुलना बाकी है। इसीलिए इसे भारत का सबसे
अमीर मंदिर कहा जाता है।
क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यता?
मंदिर हजारों साल पुराना है। इसकी स्थापना कब
हुई थी, इस बारे में एकराय नहीं है। कहा जाता है कि यह मंदिर दो हजार साल
पुराना है। वहीं त्रावणकोर के इतिहासकार डॉ. एलए रवि वर्मा का दावा है कि
इस मंदिर की स्थापना कलियुग के पहले दिन में हुई थी। यह भी माना जाता है कि
मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ती की स्थापना कलियुग के 950वें साल
में हुई थी।
त्रावणकोर राजघराने से क्या है संबंध?
मंदिर का मौजूद स्वरूप त्रावणकाेर के राजाओं
ने बनवाया। कहा जाता है कि 1750 में त्रावणकाेर के महाराजा मार्तण्ड वर्मा
ने खुद को पद्मनाभ स्वामी का दास बताया था, इसके बाद पूरा शाही खानदान
मंदिर की सेवा में लग गया था। यह भी माना जाता है कि मंदिर में मौजूद अकूत
संपत्ति त्रावणकोर शाही खानदान की ही है। 1947 में जब भारत सरकार हैदराबाद
के निजाम की संपत्तिअपने अधीन कर रही थी, तो त्रावणकोर राजघराने ने अपनी
दौलत मंदिर में रख दी। उस वक्त त्रावणकोर रियासत का तो भारत में विलय हो
गया। उस वक्त रियासत की संपत्ति भारत सरकार ने अपने अधीन की, लेकिन मंदिर
शाही खानदान के पास ही रहा। इस तरह राजघराने ने अपनी संपत्ती बचा ली, लेकिन
इस कहानी का कोई प्रमाण अब तक सामने नहीं आया है। अब यह मंदिर शाही खानदान
द्वारा बनाया गया ट्रस्ट चलाता है।
टीपू सुल्तान कर चुका है हमला
टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर हमला भी किया
था। कहा जाता है कि 1790 में टीपू सुल्तान ने मंदिर पर कब्जे के लिए हमला
किया था, लेकिन कोच्चि के पास उसे हरा दिया गया।
कैग ने कहा था- मंदिर की कहानियां झूठी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व नियंत्रक लेखा महापरीक्षक (CAG)
विनोद राय ने मंदिर के तहखानों की कहानियों को खारिज किया था। 2011 में कैग
की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का
खजाना निकाला गया था। हालांकि उस वक्त कई प्रचलित कहानियों के चलते मंदिर
के छठे तहखाने को नहीं खोला गया था। एस कहानी के मुताबिक मंदिर के तहखानों
में कोबरा जैसे जहरीले सांप मौजूद हैं, जो इस खजाने की रक्षा करते हैं और
किसी को तहखाने में जाने की इजाजत नहीं है।
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