जानिए पुनर्जन्म का रहस्य और देश-विदेश के पुनर्जन्म के कुछ सच्चे क़िस्से
पुनर्जन्म अर्थात मरने के बाद फिर से नया जन्म होता है या नहीं, इस बारे में विज्ञान तो किसी एक नतीजे पर पहुंच ही नहीं पाया है हिंदू धर्म का कहना है, पुनर्जन्म, कर्म के कानून से संचालित है।
भारतीय मूल के सभी धर्म दर्शन पुनर्जन्म को मानते हैं, यहां तक कि आत्मा के अजर अमर अस्तित्व को ले कर मौन रहने वाले बौद्ध और जैन दर्शन भी पुनर्जन्म की संभावना को निश्चित मानते हैं।
फिर से जन्म लेने की तकनीक पर भले ही मतभेद हों, पर दोबारा जन्म की बात को किसी न किसी रूप में सभी मान रहे हैं। विज्ञान दूसरी तरह से मानता है कि शरीर या जीवन का अंत नहीं होता। उसका रूप बदलता रहता है क्योंकि पदार्थ और शक्ति का कभी नाश नहीं होता।
हालांकि नया जन्म लेने के बाद पिछले जन्म कि याद बहुत हि कम लोगो को रह पाती है। इसलिए ऐसी घटनाएं कभी कभार ही सामने आती है। पुनर्जन्म की घटनाएं भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों मे सुनने को मिलती है। पुनर्जन्म के कुछ देश और विदेश के सच्चे क़िस्से हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे है : -
1 - यह घटना 1970 की है, जब गाजियाबाद में ब्रजबिहारी लाल सिंघला नाम के एक आयकर अधिकारी पोस्टेड थे। उनका छोटा बेटा अचानक अपने परिजनों से कहने लगा कि वह पिछले जन्म में मुसलमान था और लखनऊ का एक बड़ा रईस हुआ करता था।
इस्लाम में पूर्व जन्म की कोई मान्यता नहीं है। उस बच्चे का नाम सुभाषचन्द्र रखा गया, लेकिन परिजन उसे बाले के नाम से बुलाते थे। इस लड़के को पूर्व जन्म की घटनाएं याद आने का किस्सा दिलचस्प है।
एक दिन उस लड़के के बड़े भाई का जन्मदिन था। इस अवसर पर घरवालों ने उसे कैरम बोर्ड उपहार स्वरूप दिया। इसी कैरम बोर्ड पर दोनों भाई एक दिन खले रहे थे कि अचानक दोनों के बीच किसी बात पर झगड़ा हो गया।
इस पर बाले ने कैरम बोर्ड को उठाकर एक तरफ फेंक दिया और बोला कि ‘मैं कोई गरीब नहीं हूं, रख अपना कैरम बोर्ड मेरे लखनऊ वाले घर में नब्बे हजार रुपए गड़े हुए हैं। मैं उनसे हजारों कैरम बोर्ड खरीद सकता हूं।’
यह सुनकर लोगों ने उसके इस व्यवहार को बाल सुलभ मानते हुए नजर अंदाज कर दिया। इसके बाद भी बाले अपनी पूर्व जन्म की घटनाएं बताने लगा। जब उससे पूछा गया कि पूर्व जन्म में वह कौन था?
इस पर बाले ने बताया कि उसका पूर्व जन्म का नाम जान मोहम्मद खान था और वह बहुत राईस था। लखनऊ में वह कैसरबाग में रहा करता था। उसके ससुर दिलदार खां बहुत बड़े रईस थे, उनकी सिर्फ लड़कियां ही लड़कियां थीं।
शादी के बाद ससुर ने उसे घर जमाई बना लिया और उसे अपनी संपत्ति का मालिक बना दिया। आगे उसने बताया कि उसकी बेगम का नाम शाफियाखानम था। उनसे उसके चार बेटे और दो लडकियां हुईं।
दो लड़के उस्मानिया यूनिवर्सिटी में पढ़ा करते थे। सबसे बड़े लड़के का नाम अब्दुल गफूर खां था। बड़ी बेटी लखनऊ में ब्याही थी और छोटी वाली का ब्याह इलाहबाद में हुआ था। आड़े वक़्त के लिए 90 हजार रूपए एक गुप्त स्थान पर गाड़कर रखे थे।
इनकम टैक्स के डर से अपनी बीवी शाफीयाखानम के नाम से स्टेट बैंक में अकाउंट खोल रखा था। उसके पास तिमंजिला मकान और बढ़िया कार भी थी। वह 5 वक़्त का नमाजी था।
यह पूछने पर कि जान मोहम्मद खान की मौत कैसे हुई तो उसने बताया कि वह तिमंजिले माकन की छत पर खड़ा था, तभी एक बन्दर ने उसके ऊपर हमला कर दिया। बन्दर से बचने के चक्कर में वह तिमंजिले मकान से गिर पड़ा और मौत हो गई।
उसके बाद धीरे-धीरे बाले घर में वैसे ही नमाज पढ़ने लगा जैसे कि मौलवी नमाज पढ़ते हैं। उसका यह रुख देखकर लोग उसे बाले खां बुलाने लगे। जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगा, अपनी बीवी शाफियाखानम के नाम पत्र लिखवाने लगा।
जिसे घरवाले लिखते तो थे, लेकिन उस पते पर पोस्ट नहीं करते थे। उधर बाले पत्र लिखने के बाद जवाब का बेसब्री से इन्तजार किया करता था। घरवालों ने जब बाले द्वारा गए विवरण गाजियाबाद से लखनऊ जाकर पता कगाया तो आश्चर्यजनक तरीके से सभी बातें सच साबित हुईं।
साभार :दैनिक भास्कर
2 - यह घटना आगरा की है। यहां किसी समय पोस्ट मास्टर पी.एन. भार्गव रहा करते थे। उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम मंजु था। मंजु ने ढाई साल की उम्र में ही यह कहना शुरु कर दिया कि उसके दो घर हैं। मंजु ने उस घर के बारे में अपने परिवार वालों को भी बताया।
पहले तो किसी ने मंजु की उन बातों पर ध्यान नहीं दिया लेकिन जब कभी मंजु धुलियागंज, आगरा के एक विशेष मकान के सामने से निकलती तो कहा करती थी- यही मेरा घर है।
भारतीय मूल के सभी धर्म दर्शन पुनर्जन्म को मानते हैं, यहां तक कि आत्मा के अजर अमर अस्तित्व को ले कर मौन रहने वाले बौद्ध और जैन दर्शन भी पुनर्जन्म की संभावना को निश्चित मानते हैं।
फिर से जन्म लेने की तकनीक पर भले ही मतभेद हों, पर दोबारा जन्म की बात को किसी न किसी रूप में सभी मान रहे हैं। विज्ञान दूसरी तरह से मानता है कि शरीर या जीवन का अंत नहीं होता। उसका रूप बदलता रहता है क्योंकि पदार्थ और शक्ति का कभी नाश नहीं होता।
हालांकि नया जन्म लेने के बाद पिछले जन्म कि याद बहुत हि कम लोगो को रह पाती है। इसलिए ऐसी घटनाएं कभी कभार ही सामने आती है। पुनर्जन्म की घटनाएं भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों मे सुनने को मिलती है। पुनर्जन्म के कुछ देश और विदेश के सच्चे क़िस्से हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे है : -
1 - यह घटना 1970 की है, जब गाजियाबाद में ब्रजबिहारी लाल सिंघला नाम के एक आयकर अधिकारी पोस्टेड थे। उनका छोटा बेटा अचानक अपने परिजनों से कहने लगा कि वह पिछले जन्म में मुसलमान था और लखनऊ का एक बड़ा रईस हुआ करता था।
इस्लाम में पूर्व जन्म की कोई मान्यता नहीं है। उस बच्चे का नाम सुभाषचन्द्र रखा गया, लेकिन परिजन उसे बाले के नाम से बुलाते थे। इस लड़के को पूर्व जन्म की घटनाएं याद आने का किस्सा दिलचस्प है।
एक दिन उस लड़के के बड़े भाई का जन्मदिन था। इस अवसर पर घरवालों ने उसे कैरम बोर्ड उपहार स्वरूप दिया। इसी कैरम बोर्ड पर दोनों भाई एक दिन खले रहे थे कि अचानक दोनों के बीच किसी बात पर झगड़ा हो गया।
इस पर बाले ने कैरम बोर्ड को उठाकर एक तरफ फेंक दिया और बोला कि ‘मैं कोई गरीब नहीं हूं, रख अपना कैरम बोर्ड मेरे लखनऊ वाले घर में नब्बे हजार रुपए गड़े हुए हैं। मैं उनसे हजारों कैरम बोर्ड खरीद सकता हूं।’
यह सुनकर लोगों ने उसके इस व्यवहार को बाल सुलभ मानते हुए नजर अंदाज कर दिया। इसके बाद भी बाले अपनी पूर्व जन्म की घटनाएं बताने लगा। जब उससे पूछा गया कि पूर्व जन्म में वह कौन था?
इस पर बाले ने बताया कि उसका पूर्व जन्म का नाम जान मोहम्मद खान था और वह बहुत राईस था। लखनऊ में वह कैसरबाग में रहा करता था। उसके ससुर दिलदार खां बहुत बड़े रईस थे, उनकी सिर्फ लड़कियां ही लड़कियां थीं।
शादी के बाद ससुर ने उसे घर जमाई बना लिया और उसे अपनी संपत्ति का मालिक बना दिया। आगे उसने बताया कि उसकी बेगम का नाम शाफियाखानम था। उनसे उसके चार बेटे और दो लडकियां हुईं।
दो लड़के उस्मानिया यूनिवर्सिटी में पढ़ा करते थे। सबसे बड़े लड़के का नाम अब्दुल गफूर खां था। बड़ी बेटी लखनऊ में ब्याही थी और छोटी वाली का ब्याह इलाहबाद में हुआ था। आड़े वक़्त के लिए 90 हजार रूपए एक गुप्त स्थान पर गाड़कर रखे थे।
इनकम टैक्स के डर से अपनी बीवी शाफीयाखानम के नाम से स्टेट बैंक में अकाउंट खोल रखा था। उसके पास तिमंजिला मकान और बढ़िया कार भी थी। वह 5 वक़्त का नमाजी था।
यह पूछने पर कि जान मोहम्मद खान की मौत कैसे हुई तो उसने बताया कि वह तिमंजिले माकन की छत पर खड़ा था, तभी एक बन्दर ने उसके ऊपर हमला कर दिया। बन्दर से बचने के चक्कर में वह तिमंजिले मकान से गिर पड़ा और मौत हो गई।
उसके बाद धीरे-धीरे बाले घर में वैसे ही नमाज पढ़ने लगा जैसे कि मौलवी नमाज पढ़ते हैं। उसका यह रुख देखकर लोग उसे बाले खां बुलाने लगे। जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगा, अपनी बीवी शाफियाखानम के नाम पत्र लिखवाने लगा।
जिसे घरवाले लिखते तो थे, लेकिन उस पते पर पोस्ट नहीं करते थे। उधर बाले पत्र लिखने के बाद जवाब का बेसब्री से इन्तजार किया करता था। घरवालों ने जब बाले द्वारा गए विवरण गाजियाबाद से लखनऊ जाकर पता कगाया तो आश्चर्यजनक तरीके से सभी बातें सच साबित हुईं।
साभार :दैनिक भास्कर
2 - यह घटना आगरा की है। यहां किसी समय पोस्ट मास्टर पी.एन. भार्गव रहा करते थे। उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम मंजु था। मंजु ने ढाई साल की उम्र में ही यह कहना शुरु कर दिया कि उसके दो घर हैं। मंजु ने उस घर के बारे में अपने परिवार वालों को भी बताया।
पहले तो किसी ने मंजु की उन बातों पर ध्यान नहीं दिया लेकिन जब कभी मंजु धुलियागंज, आगरा के एक विशेष मकान के सामने से निकलती तो कहा करती थी- यही मेरा घर है।
एक दिन मंजु को उस घर में ले जाया गया। उस मकान के मालिक प्रतापसिंह चतुर्वेदी थे। वहां मंजु ने कई ऐसी बातें बताई जो उस घर में रहने वाले लोग ही जानते थे।
बाद में भेद चला कि श्रीचतुर्वेदी की चाची (फिरोजाबाद स्थित चौबे का मुहल्ला निवासी श्रीविश्वेश्वरनाथ चतुर्वेदी की पत्नी) का निधन सन 1952 में हो गया था। अनुमान यह लगाया गया कि उन्हीं का पुनर्जन्म मंजु के रूप में हुआ है।
3 - यह घटना न्यूयार्क की है। न्यूयार्क में रहने वाली क्यूबा निवासी 26 वर्षीया राचाले ग्राण्ड को यह अलौकिक अनुभूति हुआ करती थी कि वह अपने पूर्व जन्म में एक डांसर थीं और यूरोप में रहती थी।
उसे अपने पहले जन्म के नाम की स्मृति थी। खोज करने पर पता चला कि यूरोप में आज से 60 वर्ष पूर्व स्पेन में उसके विवरण की एक डांसर रहती थी।
राचाले की कहानी में सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि जिसमें उसने कहा था कि उसके वर्तमान जन्म में भी वह जन्मजात नर्तकी की है और उसने बिना किसी के मार्गदर्शन अथवा अभ्यास के हाव-भावयुक्त डांस सीख लिया था।
4 - यह घटना थाईलैंड की है। थाईलैंड में स्याम नाम के स्थान पर रहने वाली एक लड़की को अपने पूर्वजन्म के बारे में ज्ञात होने का वर्णन मिलता है। एक दिन उस लड़की ने अपने परिवार वालों को बताया कि उसके पिछले जन्म के मां-बाप चीन में रहते हैं और वह उनके पास जाना चाहती है।
उस लड़की को चीनी भाषा का अच्छा ज्ञान भी था। जब उस लड़की की पूर्वजन्म की मां को यह पता चला तो वह उस लड़की से मिलने के लिए स्याम आ गई। लड़की ने अपनी पूर्वजन्म की मां को देखते ही पहचान लिया।
बाद में उस लड़की को उस जगह ले जाया गया, जहां वह पिछले जन्म में रहती थी। उससे पूर्वजन्म से जुड़े कई ऐसे सवाल पूछे गए। हर बार उस लड़की ने सही जवाब दिया।
लड़की ने अपने पूर्व जन्म के पिता को भी पहचान लिया। पुनर्जन्म लेने वाले दूसरे व्यक्तियों की तरह इस लड़की को भी मृत्यु और पुनर्जन्म की अवस्थाओं के बीच की स्थिति की स्मृति थी।
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बाद में भेद चला कि श्रीचतुर्वेदी की चाची (फिरोजाबाद स्थित चौबे का मुहल्ला निवासी श्रीविश्वेश्वरनाथ चतुर्वेदी की पत्नी) का निधन सन 1952 में हो गया था। अनुमान यह लगाया गया कि उन्हीं का पुनर्जन्म मंजु के रूप में हुआ है।
3 - यह घटना न्यूयार्क की है। न्यूयार्क में रहने वाली क्यूबा निवासी 26 वर्षीया राचाले ग्राण्ड को यह अलौकिक अनुभूति हुआ करती थी कि वह अपने पूर्व जन्म में एक डांसर थीं और यूरोप में रहती थी।
उसे अपने पहले जन्म के नाम की स्मृति थी। खोज करने पर पता चला कि यूरोप में आज से 60 वर्ष पूर्व स्पेन में उसके विवरण की एक डांसर रहती थी।
राचाले की कहानी में सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि जिसमें उसने कहा था कि उसके वर्तमान जन्म में भी वह जन्मजात नर्तकी की है और उसने बिना किसी के मार्गदर्शन अथवा अभ्यास के हाव-भावयुक्त डांस सीख लिया था।
4 - यह घटना थाईलैंड की है। थाईलैंड में स्याम नाम के स्थान पर रहने वाली एक लड़की को अपने पूर्वजन्म के बारे में ज्ञात होने का वर्णन मिलता है। एक दिन उस लड़की ने अपने परिवार वालों को बताया कि उसके पिछले जन्म के मां-बाप चीन में रहते हैं और वह उनके पास जाना चाहती है।
उस लड़की को चीनी भाषा का अच्छा ज्ञान भी था। जब उस लड़की की पूर्वजन्म की मां को यह पता चला तो वह उस लड़की से मिलने के लिए स्याम आ गई। लड़की ने अपनी पूर्वजन्म की मां को देखते ही पहचान लिया।
बाद में उस लड़की को उस जगह ले जाया गया, जहां वह पिछले जन्म में रहती थी। उससे पूर्वजन्म से जुड़े कई ऐसे सवाल पूछे गए। हर बार उस लड़की ने सही जवाब दिया।
लड़की ने अपने पूर्व जन्म के पिता को भी पहचान लिया। पुनर्जन्म लेने वाले दूसरे व्यक्तियों की तरह इस लड़की को भी मृत्यु और पुनर्जन्म की अवस्थाओं के बीच की स्थिति की स्मृति थी।
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