हिन्दू धर्म में सिन्दूर के महत्त्व से भला कौन परिचित नहीं है ? एक विवाहित स्त्री के लिए सिन्दूर न केवल उसके विवाहित होने का प्रमाण है बल्कि एक प्रकार से गहना है । पूजा-पाठ में भी सिन्दूर की ख़ास एहमियत है । जहाँ अक्सर सभी देवी-देवताओं को सिन्दूर का तिलक लगाया जाता है, हनुमान जी को सिन्दूर का चोला चढ़ाया जाता है । इसके पीछे एक कारण है जिसका वर्णन रामचरितमानस में है ।
कहा जाता है कि चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके जब श्री राम, सीता और लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या आए तो एक दिन हनुमान ने माता सीता को अपनी मांग में सिन्दूर लगाते देखा । एक वानर के लिए ये कुछ अजब सी चीज़ थी तो उन्होंने माता सीता से सिन्दूर के बारे में पूछा । माता सीता ने कहा कि सिन्दूर लगाने से उन्हें श्री राम का स्नेह प्राप्त होगा और इस तरह ये सौभाग्य का प्रतीक है । अब हनुमान तो ठहरे राम भक्त और ऊपर से अत्यंत भोले, तो उन्होंने अपने पूरे शरीर को सिन्दूर से रंग लिया यह सोचकर कि यदि वे सिर्फ माँग नहीं बल्कि पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लेंगे तो उन्हें भगवान् राम का ख़ूब प्रेम प्राप्त होगा और उनके स्वामी कि उम्र भी लम्बी होगी । हनुमान इसी अवस्था में सभा में चले गए ।
श्री राम ने जब हनुमान को सिन्दूर से रंगा देखा तो उन्होंने हनुमान से इसका कारण पूछा । हनुमान ने भी बेझिझक कह दिया कि उन्होंने ये सिर्फ भगवान् राम का स्नेह प्राप्त करने के लिए किया था । उस वक्त राम इतने प्रसन्न हुए कि हनुमान को गले लगा लिया। बस तभी से हनुमान को प्रसन्न करने के लिए उनकी मूरत को सिन्दूर से रंगा जाता है । इससे हनुमान का तेज और बढ़ जाता है और भक्तों में आस्था बढ़ जाती है ।
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