Wednesday, 30 March 2016

Padmanabhaswamy temple secrets in hindi

पद्मनाभस्वामी मंदिर और तहख़ाने के खजाने का ये रहस्य जान आप चौक जाएँगे 

                                                       Padmanabhaswamy temple story

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के 'तिरुअनन्तपुरम' में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है।

केरल की राजधानी तिरूअनंतपुरम में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर के पास अकूत संपत्ति है।तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है ।

माना जाता है कि इस मंदिर के पास 2 लाख करोड़ रुपए की दौलत है।  2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला जा चुका है। अभी मंदिर का एक तहखाना खुलना बाकी है।

Padmanabhaswamy temple sixth snake door

कैग ने कहा था , मंदिर की कहानियां झूठी :-

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व नियंत्रक लेखा महापरीक्षक (CAG) विनोद राय ने मंदिर के तहखानों की कहानियों को खारिज किया था। 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया था।

हालांकि उस वक्त कई प्रचलित कहानियों के चलते मंदिर के छठे तहखाने को नहीं खोला गया था। कहानी के मुताबिक मंदिर के तहखानों में कोबरा जैसे जहरीले सांप मौजूद हैं, जो इस खजाने की रक्षा करते हैं और किसी को तहखाने में जाने की इजाजत नहीं है।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था।

                                             Treasure Temple  Padmanabhaswamy , Kerala

मंदिर से जुड़ी मान्यता  :-

मंदिर हजारों साल पुराना है। इसकी स्थापना कब हुई थी, इस बारे में एकराय नहीं है। कहा जाता है कि यह मंदिर दो हजार साल पुराना है। वहीं त्रावणकोर के इतिहासकार डॉ. एलए रवि वर्मा का दावा है कि इस मंदिर की स्थापना कलियुग के पहले दिन में हुई थी। यह भी माना जाता है कि मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ती की स्थापना कलियुग के 950 वें साल में हुई थी।

त्रावणकोर राजघराने से संबंध :-

मंदिर का मौजूद स्वरूप त्रावणकाेर के राजाओं ने बनवाया। कहा जाता है कि 1750 में त्रावणकाेर के महाराजा मार्तण्ड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ स्वामी का दास बताया था, इसके बाद पूरा शाही खानदान मंदिर की सेवा में लग गया था। यह भी माना जाता है कि मंदिर में मौजूद अकूत संपत्ति त्रावणकोर शाही खानदान की ही है।

1947 में जब भारत सरकार हैदराबाद के निजाम की संपत्ति अपने अधीन कर रही थी, तो त्रावणकोर राजघराने ने अपनी दौलत मंदिर में रख दी। उस वक्त त्रावणकोर रियासत का तो भारत में विलय हो गया। उस वक्त रियासत की संपत्ति भारत सरकार ने अपने अधीन की, लेकिन मंदिर शाही खानदान के पास ही रहा।

इस तरह राजघराने ने अपनी संपत्ती बचा ली, लेकिन इस कहानी का कोई प्रमाण अब तक सामने नहीं आया है। अब यह मंदिर शाही खानदान द्वारा बनाया गया ट्रस्ट चलाता है।

टीपू सुल्तान का हमला  :-


टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर हमला भी किया था। कहा जाता है कि 1790 में टीपू सुल्तान ने मंदिर पर कब्जे के लिए हमला किया था, लेकिन कोच्चि के पास उसे हरा दिया गया।


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